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एक याराना ऐसा भी! करंट से गई साथी की जान तो न खाया न हिला-डुला, दोस्त की शव यात्रा में शामिल हुआ ये लंगूर

गोड्डा से दोस्ती की हैरान कर देने वाली कहानी सामने आई है, जिसे देखकर हर किसी आंखें नम हो गईं. दरअसल बिजली के तार की चपेट में आने से एक लंगूर की तड़प-तड़प कर मौत हो गई. इसके बाद दूसरा लंगूर अपने दोस्त के शव को घंटों निहारता रहा और वहां से हिला तक नहीं. इतना ही नहीं दोस्त को आखिरी विदाई देने के लिए लंगूर श्मशान घाट तक गया.

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करंट लगने से लंगूर की मौत, साथी लंगूर हुआ भावुक
करंट लगने से लंगूर की मौत, साथी लंगूर हुआ भावुक

दोस्ती एक ऐसी भावना है, जिससे इंसान तो क्या जानवर भी अछूता नहीं रहा. झारखंड के गोड्डा से एक ऐसी ही दोस्ती की कहानी सामने आई है, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है. दोस्ती की ये कहानी इंसानों की नहीं बल्कि दो लंगूरों की है. जो पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है. 

दरअसल बिजली के तार की चपेट में आने से एक लंगूर की तड़प-तड़प कर मौत हो गई. इसके बाद दूसरा लंगूर अपने दोस्त के शव को घंटों निहारता रहा और वहां से हिला तक नहीं. दोस्त की मौत का गम उसकी आंखों में साफ दिखाई दे रहा था. 

करंट लगने से एक लूंगर की दर्दनाक मौत
 
मौके पर मौजूद लोगों ने लंगूर का शव उठाया और उसे श्मशान घाट तक ले जाने लगे तो मृतक लंगूर का दोस्त ठेले के पर बैठकर अपने दोस्त को आखिरी विदाई देने के लिए साथ-साथ गया. इस दौरान वो बीच-बीच में कपड़े में लिपटे अपने दोस्त के शव को निहारता रहा तो कभी मायूस होकर इधर-उधर लोगों को देखता रहा.

साथी की मौत के बाद शव के साथ-साथ घूमता रहा लंगूर

स्थानीय लोगों ने बताया कि दोस्त की मौत से वह इतना दुखी था कि उसे खाने के लिए कुछ फल दिए गए पर उसे छुए तक नहीं. इस दोस्ती को देखकर लोग हैरान रहे गए. इस नजारे को देखकर हर किसी की आंखे भर आईं.

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इसके अलावा स्थानीय लोगों ने बताया कि दोनों लंगूर दोस्त काफी देर से एक दूसरे साथ खेल रहे थे. इसी दौरान अचानक खेलते-खेलते एक लंगूर बिजली की तार की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई. उसका साथी दूसरा लंगूर वहां बैठा रहा और अपने दोस्त को निहारता रहा.

इस घटना को लोग ईश्वरीय लीला मान रहे हैं

वहीं इस घटना को लेकर गांव के रहने वाले समजासेवी राजेश झा ने कहा कि वो इसे ईश्वरीय लीला मान रहे हैं. एक हनुमान का अंतिम संस्कार अच्छे से होना था शायद उसी के निगरानी के लिए साक्षात बजरंगबली ही आए थे. इसके अलावा अन्य लोग भी इसे ईश्वरीय लीला मान रहे हैं.

 

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