झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने का मामला सामने आने के बाद पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है. इस गंभीर लापरवाही पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कड़ा रुख अपनाते हुए सिविल सर्जन सुशांतो कुमार माझी समेत कई जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. साथ ही, सरकार ने पीड़ित बच्चों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने और उनके इलाज का पूरा खर्च उठाने की घोषणा की है.
मुख्यमंत्री ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी ऐसी लापरवाही अस्वीकार्य है. उन्होंने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट 'X' पर लिखा, चाईबासा में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने की सूचना पर पश्चिम सिंहभूम के सिविल सर्जन समेत अन्य पदाधिकारियों को निलंबित करने का निर्देश दिया गया है. सरकार पीड़ित बच्चों के परिवारों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि देगी और बच्चों का पूरा इलाज करवाएगी.
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इस घटना पर झारखंड हाईकोर्ट ने भी स्वतः संज्ञान लिया था. कुछ दिन पहले एक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को ब्लड बैंक से एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने की शिकायत सामने आई थी. अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी. हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग ने निदेशक स्तर की जांच टीम को चाईबासा भेजा.
जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि सिर्फ एक नहीं, बल्कि पांच थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि हुई है. सभी बच्चे नियमित रूप से चाईबासा ब्लड बैंक से रक्त प्राप्त करते थे. इस भयावह लापरवाही ने ब्लड बैंक की कार्यप्रणाली और राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
रांची से पहुंची जांच टीम ने ब्लड बैंक की व्यवस्था का निरीक्षण किया और कई गंभीर खामियां पाईं. रिपोर्ट के अनुसार, रक्त के परीक्षण, भंडारण और वितरण प्रक्रिया में सुरक्षा मानकों का गंभीर उल्लंघन हुआ है. टीम ने स्पष्ट किया कि ब्लड बैंक की प्रणाली तत्काल सुधार की मांग करती है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं.
इस घटना के बाद पूरे राज्य के ब्लड बैंकों में सतर्कता बढ़ा दी गई है. चाईबासा अस्पताल में मौजूद पूरे रक्त स्टॉक की जांच की जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि और कोई संक्रमित रक्त उपलब्ध न हो. मुख्यमंत्री के सख्त कदम से स्वास्थ्य विभाग में अफरा-तफरी मच गई है. कई अधिकारी जांच के घेरे में हैं और राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस अमानवीय लापरवाही के दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा.