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'जो देश के काम का नहीं, वो किसी काम का नहीं', झारखंड के फल व्यापारियों का तुर्की को करारा जवाब

Boycott Turkey: पाकिस्तान का साथ देना तुर्की को भारी पड़ता नजर आ रहा है. भारत में बायकॉट तुर्किए की मुहिम तेज हो गई है और इसका असर भी दिखने लगा है. एक ओर जहां व्यापारियों ने Turkish Apple का बहिष्कार शुरू किया है, तो ट्रैवल प्लेटफॉर्मों ने तुर्की, अजरबैजान की यात्रा न करने की अपील की है.

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तुर्की से Imported सेब का बॉयकॉट.
तुर्की से Imported सेब का बॉयकॉट.

तुर्की द्वारा भारत विरोधी रुख अपनाने के बाद देशभर में उसके उत्पादों के बहिष्कार की लहर तेज हो रही है. इस मुहिम को अब झारखंड के फल व्यापारियों का भी समर्थन मिल गया है. रांची के डेली मार्केट मंडी सहित राज्यभर के कई बड़े फल व्यापारियों ने तुर्की से आयातित (Imported) सेब और अन्य मेवों की बिक्री बंद कर दी है.

दरअसल, व्यापारियों का कहना है कि तुर्की का व्यवहार भारत की संप्रभुता और अस्मिता के खिलाफ है और ऐसे में उसके उत्पादों को बेचकर मुनाफा कमाना राष्ट्रहित के खिलाफ होगा. एक व्यापारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा, जो देश के काम का नहीं, वो किसी भी काम का नहीं. हमने तुर्की से फल मंगवाना और बेचना पूरी तरह बंद कर दिया है.

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डेली मार्केट में फलों की कोई कमी नहीं है. सेब अब ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और अन्य मित्र देशों से मंगवाकर ग्राहकों की मांग पूरी की जा रही है. ग्राहकों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. आर्मी परिवार से ताल्लुक रखने वाली एक महिला (ग्राहक) ने कहा, मैं तुर्की के व्यवहार से बेहद आहत हूं. तुर्की के फल और उत्पादों का बहिष्कार हर देशभक्त का कर्तव्य है.

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बता दें कि तुर्किए सेब के जरिए हर मौसम में तकरीबन 1000-1200 करोड़ रुपये का कारोबार करता है. एक बात और बता दें कि पाकिस्तान की तरह तुर्की भी भारत के आगे कहीं नहीं टिकता है और अगर जीडीपी के लिहाज से देखों तो जहां India GDP 4.19 डॉलर है, तो वहीं Turkey GDP महज 1.12 ट्रिलियन डॉलर है. तुर्की का पाकिस्तान प्रेम और भारत में 'Boycott Turkey' की मुहिम उसकी कमर तोड़ने वाली साबित हो सकती है.

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