राष्ट्रपति चुनाव के ख़त्म होने के बाद जमीन के मुद्दे पर झारखंड की राजनीति एक बार फिर से गरमाने वाली है. दरअसल बिहार की तर्ज पर झारखंड में शिबू सोरेन परिवार पर करोड़ों की अवैध संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगे हैं. हालांकि हेमंत सोरेन ने बीजेपी के लगाए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे जमीन अधिग्रहण के मुद्दे से लोगों का ध्यान हटाने की साजिश बताया है.
बीजेपी के आरोपों में घिरे हेमंत सोरेन
बीजेपी का आरोप है कि हरमू में जिस जमीन पर मैरिज हॉल बना है, उसे हेमंत सोरेन ने अवैध तरीके से जमीन हासिल कर बनवाया है. वैसे बीजेपी के आरोपों की मानें, तो सोरेन परिवार के कब्जे में ऐसे कई जमीनें हैं, जिनकी वर्तमान कीमत करोड़ों में है. बीजेपी के मुताबिक हेमंत सोरेन ने साल 2014 में चुनाव आयोग के समक्ष जो हलफनामा दाखिल किया था, उसमें कई तथ्यों को छिपाया गया है. इसमें 30 मार्च 2007 के दिन का उल्लेख करते हुए बीजेपी ने कहा कि हेमंत सोरेन ने एक दिन में ही 16 रजिस्ट्री के जरिए विभिन्न स्थानों पर 5.28 एकड़ जमीन खरीदी.
आरोपों के मुताबिक सोरेन परिवार ने अपनी सभी संपत्तियों को अंडरवैल्यू करके दिखाया है. एक मोटे अनुमान के अनुसार सोरेन परिवार की संयुक्त संपत्ति 100 करोड़ से ज्यादा की है, लेकिन यह सिर्फ प्रारंभिक अनुमान है, इनकी वास्तविक संपत्ति कई गुना ज्यादा हो सकती है.
नियम के उल्लंघन का आरोप
हेमंत सोरेन का पैतृक निवास रामगढ़ में है. ऐसे में CNT एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक वे सिर्फ अपने थाने के अंतर्गत आने वाली आदिवासी जमीन को ही खरीदने के अधिकारी है, लेकिन आरोप है कि उन्होंने इन नियमों को धता बताते हुए बोकारो, रांची, दुमका और धनबाद जैसे शहरों में संपत्ति अर्जित की. आरोप है कि अवैध तरीके से उनके द्वारा 100 करोड़ रुपये से अधिक की परिसंपत्ति अर्जित की गयी है. बीजेपी के लगाए गए आरोप पर पलटवार करते हेमंत सोरेन ने कहा है कि बीजेपी साहूकारों की पार्टी है. साथ ही उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि आरोप लगाने वालों को पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर आरोपों में दम है, तो बीजेपी चुनाव आयोग में इसकी शिकायत क्यों नहीं करती.
मानसून सत्र में मचेगा घमासान
BJP और JMM के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप की वजह से सूबे की राजनीति गर्मा गई है. हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव की वजह से यह मुद्दा कुछ समय के लिए जरूर शांत पड़ गया था. लेकिन आने वाले मानसून सत्र के दौरान सत्ता पक्ष इस मुद्दे को जोरशोर से उठाने वाला है. दरअसल सरकार की मंशा CNT/SPT संसोधन एक्ट और जमीन के मुद्दे को जोरशोर से उठा रही JMM को उसी के दांव से मात देने की है.