गुपकार समझौते से जुड़े राजनीतिक दलों ने शनिवार को जम्मू में सिख प्रतिनिधियों से बातचीत शुरू की है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अपने ट्विटर हैंडल पर इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि जम्मू में सिख प्रतिनिधियों से गुपकार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर दो तस्वीरें भी डाली हैं, जिसमें फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती सिख प्रतिनिधियों से बातचीत करते दिख रहे हैं.
The People’s Alliance for Gupkar Declaration starts its interactions in Jammu with a meeting with a Sikh delegation. @JKNC_ @jkpdp @MehboobaMufti @tarigami @sajadlone @masoodi_hasnain @MuzzafarShah1 @DevenderSRana pic.twitter.com/AuKZ88BNWy
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) November 7, 2020
जम्मू कश्मीर में पहले से ही गुपकार गठबंधन की बैठक को लेकर राजनीतिक हलचल तेज है. मुफ्ती के जम्मू कश्मीर पहुंचने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला भी शुक्रवार को जम्मू पहुंचे.
फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हमें पाकिस्तानी कहा जा रहा है, अगर हम चाहते तो साल 1947 में ही पाकिस्तान के साथ जा सकते थे. हमने महात्मा गांधी के भारत से खुद को जोड़ा है बीजेपी के भारत से नहीं. अगर वो मुझे मारना चाहते हैं मार दें, जीना और मरना ऊपर वाले के हाथ में है.
उन्होंने कहा कि मेरी उम्र भले ही 80 साल से अधिक है लेकिन मैं अभी भी जवान हूं और जम्मू कश्मीर के लोगों को उनका हक दिलाए बिना नहीं मरूंगा. मैं बीजेपी से नहीं डरता हूं, बीजेपी को अपनी बहादुरी दिखानी हैं तो सीमा पर जाकर दिखाए, यहां नहीं.
अब्दुल्ला ने आगे कहा कि बीजेपी ने कश्मीरी पंडितों का वोट के लिए इस्तेमाल किया है. ट्रंप की तरह बीजेपी की भी सरकार चली जाएगी. बीजेपी और कितना झूठ बोलेगी. उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई एक विचारधारा के खिलाफ है.
वहीं उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि मिशन 44+ ना पूरा होने का बदला पार्टी कश्मीर के लोगों से ले रही है. उन्होंने कहा पिछले एक साल में सरकार ने क्या किया है? मैं राज्यपाल से पूछना चाहता हूं कि सूबे में कितनी फैक्ट्रियां लगाई गईं हैं. पांच अगस्त 2019 को लिया गया फैसला अब तक का सबसे बेकार फैसला था.
क्या है गुपकार समझौता
गुपकार समझौते से जुड़े राजनीतिक दलों ने जम्मू-कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और उसके विशेष दर्जे को बनाए रखने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करने का निर्णय लिया है. इस समझौते में जम्मू-कश्मीर के छह बड़े राजनीतिक दल शामिल हैं. इनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस समेत तीन और दल हैं.