scorecardresearch
 

J-K: आतंकियों के निशाने पर पुलिसवाले, इस साल 40 की गई जान

जून महीने में ईद मनाने के लिए घर जा रहे सेना के जवान औरंगजेब का पुलवामा से अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई. आतंकियों के चंगुल में आए सेना के जांबाज औरंगजेब का गोलियों से छलनी शरीर पुलवामा के जंगलों से बरामद हुआ.

Advertisement
X
फयाज अहमद का अंतिम संस्कार (फाइल फोटो)
फयाज अहमद का अंतिम संस्कार (फाइल फोटो)

जम्मू कश्मीर में आतंकियों ने एक फिर अपनी कायराना हरकत दोहराते हुए शुक्रवार को तीन पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी. ताजा घटना शोपियां की है जहां आतंकियों ने पहले 4 पुलिसकर्मियों को अगवा किया और बाद में तीन की हत्या कर दी. बीते कुछ दिनों से घाटी में आतंकी लगातार पुलिसकर्मियों को मार रहे हैं और ये सिलसिला करीब 2 साल से जारी है.

इस साल 29 अगस्त तक ही कुल 35 पुलिसकर्मियों की हत्या हो चुकी है, जो 2017 में पूरे साल हुईं कुल हत्याओं से भी ज्यादा है. यही नहीं सेना के जवान उमर फैयाद से लेकर औरंगजेब को भी आतंकियों ने निशाना बनाया था. न सिर्फ पुलिसकर्मी बल्कि बीते दिनों तो उनके परिवारों के 11 सदस्यों को अगवा करने की घटना भी सामने आई थी.

लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की हत्या

Advertisement

पिछले साल 10 मई को इंडियन आर्मी के जांबाज अफसर फैयाज को आतंकवादियों ने उनकी पहली ही छुट्टी पर मार दिया था. कुलगाम जिले के सुरसोना गांव के रहने वाले फैयाज कुलगाम से करीब 74 किलोमीटर दूर बाटपुरा में अपने मामा की बेटी की शादी में शामिल होने गए थे, जहां आतंकियों ने उनका अपहरण कर लिया था. अपहरण के बाद अगली सुबह गोलियों से छलनी उनका शव हरमैन इलाके में उनके घर से करीब तीन किलोमीटर दूर मिला था.

जब निकला औरंगजेब का जनाजा

जून महीने में ईद मनाने के लिए घर जा रहे सेना के जवान औरंगजेब का पुलवामा से अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई. आतंकियों के चंगुल में आए सेना के जांबाज औरंगजेब का गोलियों से छलनी शरीर पुलवामा के जंगलों से बरामद हुआ. आतंकी ईद के पवित्र मौके पर भी नापाक हरकतों से बाज नहीं आया. ईद के दिन औरंगजेब के जनाजे में शामिल होने के लिए लोगों का हुजूम निकल पड़ा.

ईद पर 3 जवानों की हत्या

अगस्त की 22 तारीख को ईद के दिन ही आतंकियों ने 3 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने बकरीद की शाम मोहम्मद अशरफ डार समेत पुलिस कांस्टेबल फयाज अहमद शाह और विशेष पुलिस अधिकारी मोहम्मद याकूब शाह को मार दिया था. हाल की घटनाओं में आतंकियों ने छुट्टी पर आए पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया है.

Advertisement

दरअसल आतंकी चाहते हैं कि जम्मू कश्मीर के युवा पुलिस महकमे में भर्ती न हों. इसके लिए बकायदा लाउड स्पीकर के जरिए स्थानीय लोगों को चेतावनी दी जा रही है. अगवा किए गए कुछ जवानों को तो पुलिस की नौकरी छोड़ने की शर्त पर रिहा किया गया है. शोपियां के मामले में भी कुछ ऐसा दी देखने को मिला, जहां हिजबुल आतंकियों ने वीडियो संदेश में कहा कि वह आतंकियों को नहीं मारना चाहते, बशर्ते उन्हें पुलिस की नौकरी छोड़ने पड़ेगी.

जम्मू कश्मीर पुलिस के आंकडों के मुताबिक साल 1990 से लेकर अबतक करीब 1600 जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. इनमें इंस्पेक्टर जनरल जैसे वरिष्ठ अधिकारियों समेत डीआईजी, एसपी, कॉस्टेबल तक शामिल हैं. इसके अलावा एसपीओ और ग्राम सुरक्षा समिति के सदस्यों को भी निशाना बनाया गया है.  साल 2017 में 33 पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी.

नौकरी की आस में युवा

जम्मू-कश्मीर पुलिस (जेकेपी) के पास करीब 35,000 एसपीओ हैं जो पुलिस विभाग में नियमित नौकरी मिलने की आस लगाए हुए हैं. पुलिस विभाग राज्य के युवाओं के लिए रोजगार का मुख्य आकर्षण बना हुआ है. जुलाई 2016 में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद दो वर्षों में घाटी के करीब 9,000 युवा पुलिस में भर्ती हो चुके हैं. साथ ही बुरहान की हत्या के बाद पुलिस पर हमलों की घटनाएं भी बढ़ी हैं.

Advertisement
Advertisement