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शोपियां फायरिंग केसः FIR पर J-K का अधिकार है या नहीं, 30 को SC लेगा फैसला

जम्मू-कश्मीर के शोपियां फायरिंग केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य को सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अधिकार नहीं है. मेजर आदित्य और अन्य सेनाकर्मियों के खिलाफ एफआईआर पर जांच पर रोक जारी रहेगी.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

जम्मू-कश्मीर के शोपियां फायरिंग केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य को सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अधिकार नहीं है. मेजर आदित्य और अन्य सेनाकर्मियों के खिलाफ एफआईआर पर जांच पर रोक जारी रहेगी.

इससे पहले जम्मू-कश्मीर सरकार ने कहा था कि एफआईआर पर जांच अनिश्चितकाल तक नहीं रोकी जा सकती. अब सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि एएफएसए की धारा 7 के तहत सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले राज्य को केंद्र की अनुमति लेनी जरूरी है या नहीं. इस मामले की अगली सुनवाई में यह भी तय होगा कि कर्मवीर सिंह की याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं?

सबके अपने-अपने तर्क

शोपियां फायरिंग केस में देश की सबसे बड़ी अदालत इस मामले में 30 जुलाई को निर्णायक सुनवाई करेगी. फिलहाल पूरे प्रकरण पर केंद्र और राज्य सरकार के अपने-अपने तर्क हैं.

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एफआईआर मामले को लेकर जम्मू-कश्मीर सरकार का कहना है कि मामले की सुनवाई के दौरान मणिपुर एनकाउंटर केस के जजमेंट को भी निगाह में रखा जाए, जिसमें कहा गया था कि मुठभेड़ गलत हो तो जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए.

हालांकि केंद्र का तर्क है कि सेना को शांति बहाली के लिए कई विशेष अधिकार हैं. सैन्य अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से पहले केंद्र सरकार की मंजूरीरी जरूरी होती है.

साथ ही जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से कहा गया कि इस मामले में याचिकाकर्ता को राहत मिली हुई है. मामले में सुनवाई को न टाला जाए. हम बहस करने के लिए तैयार है. जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से कहा गया कि याचिकाकर्ता का इस मामले में कोई लोकस नहीं है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर सरकार ने सभी राज्य सरकारों को पार्टी बनाने की मांग की, जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया.

इससे पहले जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि सेना के जवानों के खिलाफ जांच और एफआईआर दर्ज करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. उसकी ओर से कहा गया कि सीआरपीसी में यह प्रावधान है कि अपराध की शिकायत मिलने पर एफआईआर दर्ज की जाए. इसके लिए किसी भी व्यक्ति या वर्ग को छूट नहीं दी जा सकती. यह एफआईआर भी संविधान पीठ के उसी फैसले के मुताबिक दर्ज किया गया जिसमें कहा गया था कि कोई भी शिकायत आने पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है. केंद्र का विरोध संविधान पीठ के फैसले के विरुद्ध है.

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क्या है पूरा मामला?

27 जनवरी को शोपियां में पत्थरबाजों पर सेना की फायरिंग में दो पत्थारबाजों की मौत हो गई जिसको लेकर वहां काफी विरोध-प्रदर्शन हुए थे. फायरिंग का आदेश देने वाले मेजर आदित्य के खिलाफ केस दर्ज किया गया. राज्य सरकार की इस कार्रवाई को लेकर देशभर में विरोध हुआ था.

इसके बाद मेजर आदित्य के पिता ने खुद मोर्चा संभाला और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की. याचिका में उनकी तरफ से कहा गया कि पुलिस ने इस मामले में उनके सैन्य अधिकारी बेटे को आरोपी बना कर मनमाने तरीके से काम किया है. यह जानते हुए भी कि वो घटनास्थल पर मौजूद नहीं था और सेना शांतिपूर्वक काम कर रही थी, जबकि हिंसक भीड़ की वजह से वो सरकारी संपत्ति को बचाने के लिए कानूनी तौर पर कार्रवाई करने के लिए भीड़ ने मजबूर किया.

सेना का यह काफिला केंद्र सरकार के निर्देश पर जा रहा था और अपने कर्तव्य का पालन कर रहे थे.

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