प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर को लेकर 24 जून को एक अहम बैठक बुलाई है. इस मीटिंग में शामिल होने के लिए मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों के गुपकार ग्रुप की मीटिंग हुई, सभी ने तय किया है कि वो पीएम की मीटिंग में शामिल होंगे. मंगलवार को श्रीनगर में हुई इस मीटिंग के बाद जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कुछ मांगें भी रखीं.
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हम कभी भी वार्तालाप के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम ज़रूर चाहते थे कि कुछ ऐसा किया जाए ताकि विश्वास बढ़ाया जा सके.
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कोरोना के दौरान पूरे देश में कैदियों को रिहा किया गया था, ऐसा ही जम्मू-कश्मीर में होना चाहिए था. जो हमारे सियासी कैदी हैं या अन्य कैदी हैं, अगर वो (केंद्र) चाहते थे कि हम तक पहुंचना है, तो कम से कम सियासी रिहाइयां होनी चाहिए थीं.
केंद्र का एजेंडा कुछ भी हो, हम अपनी बात रखेंगे: महबूबा मुफ्ती
पीएम मोदी की मीटिंग को लेकर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि पहले हम सिर्फ फारूक अब्दुल्ला साहब को भेजना चाहते थे, लेकिन क्योंकि अलग-अलग पार्टियों को बुलाया गया है, तो हर कोई अलग ही जाएगा. महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केंद्र का कोई भी एजेंडा हो, लेकिन हम अपना ही एजेंडा सामने रखेंगे.
पूर्व सीएम ने कहा कि कम से कम इतना हो पाए कि जो लोग जेल में हैं, उन्हें रिहा किया जाए. जो बाहर की जेल में हैं, उन्हें कम से कम जम्मू-कश्मीर में शिफ्ट किया जाए. साल 2019 के बाद हमारे लोगों का नुकसान हुआ है, ट्रांसपोर्ट-टूरिज्म के क्षेत्र में नुकसान हुआ है.
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि गुपकार संगठन का जो एजेंडा है उसपर बात होगी, जो हमसे छीना गया है वो गलती की गई है. इसको बहाल किए बिना जम्मू-कश्मीर के हालात ठीक नहीं हो पाएंगे.
आपको बता दें कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में अन्य गुपकार संगठन के नेताओं ने बार-बार यही बात कही कि वो किसी कागज़ पर साइन करने नहीं जा रहे हैं, बल्कि लोगों की आवाज़ उठाने जा रहे हैं. अनुच्छेद 370 को लेकर हमारा रुख पहले ही तरह ही है, इसे वापस करना चाहिए.