जम्मू कश्मीर के बारामूला में आतंकियों ने एक बार फिर सरपंच को निशाना बनाया है. शाम के समय आतंकियों ने मनजूर अहमद नाम के सरपंच को गोली मार दी है. अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई है. अब ये कोई पहला मामला नहीं है जहां पर दहशतगर्दों ने सरपंचों को अपनी गोली का निशाना बनाया हो.
बीते दिनों में कई ऐसी घटनाएं हो गई हैं जहां पर सरपंच से लेकर प्रवासी मजदूर तक, दुकानदार से लेकर कश्मीरी पंडित तक, कई लोगों को निशाने पर लिया जा रहा है. पिछले सात दिनों के अंदर ही कई आम नागरिकों की हत्या कर दी गई है. एक्सपर्ट इसे आतंकियों की बदली हुई रणनीति बता रहे हैं. उनकी नजरों में घाटी का माहौल खराब करने के लिए ये 'टार्गेट किलिंग' की जा रही है.
इस घटना पर पूर्व सीएम और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि इस टारगेट किलिंग से काफी दुखी हूं. परिवार के प्रति मेरी संवेना है. इस रक्तपात का कोई अंत नहीं दिखाई दे रहा है. लेकिन फिर भी भारत सरकार कश्मीर के प्रति अपनी सोच और रणनीति नहीं बदल रही है.
पिछले 10 दिन में आतंकवादियों ने प्रवासी मजदूरों और कश्मीरी पंडितों पर हमले तेज कर दिए हैं. पिछले हफ्ते पुलवामा में दो अलग-अलग हमलों में चार प्रवासी मजदूर घायल हो गए थे. शोपियां में भी आतंकवादियों ने एक कश्मीरी पंडित दुकानदार को गोली मारकर घायल कर दिया था. 3 अप्रैल को पुलवामा के लोजूरा में बिहार निवासी दो मजदूर, शोपियां के छोटीगाम में कश्मीरी पंडित को गोली मारकर घायल कर दिया था. 7 अप्रैल को पुलवामा के याडर में पठानकोट निवासी एक मजदूर को आतंकियों ने गोली मारकर घायल कर दिया था. 13 अप्रैल को राजपूत परिवार के एक व्यक्ति की आतंकियों ने हत्या कर दी थी.
अब इन हत्याओं का ये जो सिलसिला दिख रहा है, ऐसा ही पैटर्न पिछले साल अक्टूबर में भी देखने को मिला था. उस समय भी अचानक से आतंकियों ने घाटी में आम नागरिक और बाहरी मजदूरों को अपना निशाना बनाया था. बताया जा रहा था कि क्योंकि सुरक्षाबलों द्वारा ओवर ग्राउंड वर्कर्स को गिरफ्तार किया जा रहा था, उसी बौखलाहट में उन हमलों को अंजाम दिया गया.