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J-K: गंदे नाले से प्यास बुझाते थे ग्रामीण, युवक ने 20 हजार में घर-घर पहुंचाया साफ पानी

कुपवाड़ा के रहने वाले इशफाक अहमद की बदौलत आज ग्रामीण अच्छा और साफ पानी पी पा रहे हैं. ग्रामीण पहले गंदे नाले का पानी पीने को मजबूर थे.

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पहाड़ी से निकलने वाले पानी को लोगों तक पहुंचाया
पहाड़ी से निकलने वाले पानी को लोगों तक पहुंचाया
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गंदे नाले का पानी पीते थे ग्रामीण
  • इशफाक की बदौलत साफ पानी मिला

गांव में पानी की किल्लत थी. बार-बार प्रशासन से अपील करने के बाद भी जब कोई हल नहीं निकला तो एक युवक ने पानी का एक अलग ही तरीका खोज लिया. इससे गांव के 200 से ज्यादा परिवारों को फायदा मिल रहा है.

ये गांव पड़ता है जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के राजापोरा हंदवाड़ा में. इशफाक अहमद इसी गांव के रहने वाले हैं. वो दिल्ली में MRI टेक्नीशियन का काम करते थे. पिछली साल जब वो अपने गांव लौटे तो उन्होंने देखा कि यहां लोग गंदे नाले से पानी भरने को मजबूर हैं और सालों से यही पानी पी रहे हैं.

इशफाक बताते हैं कि जब उन्होंने अपने गांव के बड़े-बुजुर्गों से पूछा कि जल शक्ति विभाग (Jal Shakti Department) उन्हें पीने का पानी मुहैया कराने में फेल क्यों हुआ? इस पर गांववालों ने उन्हें जो जवाब दिया, उसे सुनकर वो हैरान हो गए. गांववालों ने उन्हें बताया कि वो पिछले कई सालों से यही गंदा पानी पी रहे हैं. कई बार शिकायतों के बाद भी संबंधित विभाग के अधिकारियों ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया. 

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इशफाक कहते हैं कि वो घर पर बैठकर लोगों को गंदा पानी पीते नहीं देख सकते थे. उन्होंने कहा कि वो महिलाओं को डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर गोलीपारा नाले से पानी भरते देख परेशान हो जाते हैं.

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उन्होंने बताया कि जल शक्ति विभाग ने राजपोरा में बोरवेल बनाने का काम शुरू किया था, जिसके लिए स्टोरेज टैंक पहले ही बनाया जा चुका था. हालांकि, बोरवेल का काम आधा ही पूरा हो पाया है. उन्होंने बताया कि एक दिन जब वो अपने गांव से कुछ किलोमीटर दूरी पर एक दोस्त के साथ टहल रहे थे तो उन्होंने एक पहाड़ी से पानी को बहते देखा.

अब लोगों को पीने का साफ पानी मिल रहा है.

उन्होंने बताया, "मेरे दिमाग में उसी वक्त आइडिया आया कि जल शक्ति विभाग इस पानी का इस्तेमाल उनके गांव के लोगों के लिए कर सकता है. उन्होंने विभाग के अधिकारियों से इस आइडिए पर चर्चा भी की, लेकिन अधिकारियों ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया." इशफाक आगे बताते हैं, "उसके बाद मैंने घर आकर जब सोचा कि कैसे उस पानी को गांववालों के लिए विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. फिर मैंने अपने दम पर 20 हजार रुपये खर्च कर 4X8 फीट का एक सीमेंट का स्टोरेज टैंक बनवाया."

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हालांकि, पैसे नहीं होने की वजह से वो घर-घर पाइप के जरिए तो पानी नहीं पहुंचा सकते थे. फिर भी इशफाक की बदौलत ग्रामीण गंदे नाले के पानी की बजाय अच्छा और साफ पानी पी पा रहे हैं. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और कुपवाड़ा के डिप्टी कमिश्नर इमाम दीन से गांवों में पीने के पानी के पाइप लगाने की अपील की है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकार उनके घरों में पाइप लगा देती है तो इससे उनकी परेशानी दूर हो जाएगी.

 

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