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BJP का राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर पलटवार, खबरों में बने रहने के लिए दे रहे बयान

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान पर एक बार फिर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. बीजेपी नेता पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने कहा कि राज्यपाल के सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनके ऊपर किसी तरह को कई दबाव नहीं था

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बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम कविंदर गुुप्ता
बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम कविंदर गुुप्ता

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार की ओर इशारे करते हुए कहा है कि दिल्ली सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनवाना चाहती थी. अगर मैं ऐसा करता तो ये बेईमानी होती. वहीं, बीजेपी ने राज्यपाल मलिक के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वो खबरों में बने रहने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं.

राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान पर बीजेपी नेता व जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने कहा कि राज्यपाल खबरों में बने रहने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं. उनके ऊपर किसी तरह का कोई दबाव नहीं था.

हालांकि गुप्ता ने कहा कि राज्यपाल ने जो बातें कहीं है, उसका संदर्भ अलग था. इसे इस संबंध में नहीं जोड़ना जाना चाहिए. उन्होंने रूटीन में बातें कहीं है.

कविंदर गुप्ता ने कहा कि राज्यपाल ने स्वतंत्र और संवैधानिक पद है. उन्होंने अपने विवेक पर विधानसभा भंग करने का जो कदम उठाया था, वह स्वागत योग्य है. उन पर किसी तरह को कोई दबाव नहीं था.

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बता दें कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने ग्वालियर के एक कार्यक्रम में कहा था कि केंद्र से सज्जाद लोन को सीएम बनाने के लिए कहा गया था. अगर मैं ऐसा करता तो ये बेईमानी होती. हालांकि दो दिन बाद ही राज्यपाल अब अपने बयान से पलट गए हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली की तरफ से कोई दबाव या दखल नहीं था.

ग्वालियर की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में सत्यपाल मलिक ने कहा था कि अगर महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला सरकार बनाने के प्रति गंभीर होते तो फोन कर सकते थे, किसी के हाथों पत्र भेज सकते थे. मेरा फोन हमेशा खुला रहता है, रात को दो बजे भी...मैं तो व्हाट्सऐप पर भी मैसेज आने पर समस्याएं हल करने की कोशिश करता हूं.'

मलिक ने कहा था कि महबूबा मुफ्ती ने मुझसे एक हफ्ते पहले कहा था कि उनके विधायकों को धमकाया जा रहा है. मलिक ने कहा कि सज्जाद लोन भी कह रहे थे कि उनके पास भी पर्याप्त विधायक हैं. उनके विधायकों को भी धमकाया जा रहा है. ऐसे में लोन को मौका देकर मैं पक्षपात नहीं करना चाहता था.

बता दें कि जम्मू कश्मीर में बीजेपी ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद वहां राज्यपाल शासन लागू है. राज्यपाल शासन की मियाद पूरी होने जा रही थी, जिसके मद्देनजर राज्य में सरकार बनाने को लेकर जोड़-तोड़ चल रही थी. इसी के मुद्देनजर राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का फैसला किया.

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