जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का सत्ताधारी गठबंधन टूट सकता है. संकेतों के अनुसार मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला दोनों पार्टियों के बीच चल रहे तीखे मतभेदों के कारण इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव और अक्टूबर-नवम्बर में विधानसभा चुनाव से पहले 700 नए प्रशासनिक इकाइयों के गठन की योजना में बाधक बन रही है. इस वजह से दोनों पार्टियां टकराव की राह पर चल पड़ी हैं. इतना ही नहीं, कांग्रेस महासचिव और पार्टी मामलों के लिए प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सैफूद्दीन सोज, केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद और उमर के बीच मंगलवार को हुई बैठक में इस गतिरोध को सुलझाने के प्रयास अफसल रहे हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सूत्रों ने कहा कि निराश मुख्यमंत्री पद छोड़ने पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि प्रदेश कांग्रेस इस योजना को नाकाम करने को प्रतिबद्ध प्रतीत होती है. कांग्रेस को लगता है कि इस योजना से आगामी चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस को लाभ होगा. जाहिर है बीते पांच वर्षों से गठबंधन का नेतृत्व करने वाले उमर यदि त्यागपत्र देते हैं तो नेशनल कॉन्फ्रेंस विधानसभा चुनाव आगे बढ़ाकर उसे लोकसभा चुनाव के साथ कराने पर जोर डाल सकती है. वहीं, उनके त्यागपत्र से राज्य में राज्यपाल शासन का मार्ग भी प्रशस्त हो सकता है.
सोनिया गांधी से भी की थी मुलाकात
उमर ने इस मुद्दे को लेकर बीते सप्ताह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की थी. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, वह मुद्दे के जल्द समाधान के पक्ष में थीं. हालांकि उसके बाद कोई प्रगति नहीं हुई. प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी प्रशासनिक इकाइयों के गठन के प्रस्ताव का विरोध कर रही है, क्योंकि प्रस्ताव में वित्तीय प्रभाव पर विचार नहीं किया गया है. इसके अलावा यह सुनिश्चित होना चाहिए था कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में इकइयों को समान वितरण हो.
विश्वास की कमी
दूसरी ओर, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने प्रतिरोध करते हुए कहा है कि कांग्रेस के पिछले मुख्यमंत्री आजाद ने आठ नए जिले बनाए थे. एक प्रशासनिक इकाई एक जिले से काफी छोटी होती है. इकाइयों को लेकर गतिरोध गठबंधन साझेदारों के बीच तीखे मतभेदों में ताजा है. कई बार ऐसा लगता है कि इनके बीच विश्वास की कमी है. दोनों के बीच स्वायत्तता और सेना को व्यापक शक्तियां देने वाले AFSPA (आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट) को हटाने के मुद्दे पर भी मतभेद थे. नेशनल कान्फ्रेंस में यह धारणा है कि वह एक निष्ठावान सहयोगी पार्टी रही है. उमर ने राज्य में कांग्रेस मंत्रियों के गलत कार्यों के लिए भी काफी आलोचनाएं झेली हैं.