जम्मू कश्मीर में विधान सभा चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. बुधवार को परिसीमन आयोग की एक बैठक है, जिसमें आयोग, राजनीतिक दलों के साथ होने वाली आगामी बैठक की तारीख और स्थान सहित अन्य इंतजाम का खाका तय करेगा. परिसीमन आयोग सभी विधान सभा क्षेत्रों के बारे में फाइनल रिपोर्ट तैयार करने से पहले सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के बैठक करना चाहता है. फिलहाल इतना तय है कि ये बैठक जुलाई के पहले या फिर दूसरे हफ्ते में हो जाएगी.
प्रधानमंत्री के साथ जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों की बैठक के बाद, परिसीमन आयोग के साथ नेताओं की ये पहली बैठक होगी.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार परिसीमन में आयोग, बाकी देश की तरह अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए सुरक्षित सीटें भी सुनिश्चित करेगा. जम्मू कश्मीर विधान सभा के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि सीटें सुरक्षित होंगी. वैसे आयोग चुनाव क्षेत्रों को नए सिरे से परिसीमन करते हुए ये भी ध्यान में रख रहा है कि प्राकृतिक समानता, प्रशासनिक सीमाएं, संचार व्यवस्थाएं और सबसे महत्वपूर्ण आम जनता को सुविधा जरूर हो.
Explainer: परिसीमन का क्या मतलब होता है, चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर में क्यों जरूरी?
मार्च 2020 में लद्दाख संभाग विहीन नए जम्मू कश्मीर की विधान सभा सहित पूर्वोत्तर के असम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मणिपुर विधान सभाओं के परिसीमन के लिए परिसीमन आयोग गठित किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अगुआई में गठित इस आयोग में परंपरा के मुताबिक निर्वाचन आयोग के नुमाइंदे भी हैं, जो चुनाव क्षेत्रोंं के परिसीमन की प्रक्रिया और मानदंडों की कसौटी पर पैनी निगाह रखे हुए हैं. अब आयोग के पास अगले मार्च तक की अवधि है यानी कुल नौ महीने.
आयोग के सूत्रों के मुताबिक राजनीतिक दलों के साथ होने वाली बैठक में कुल 114 विधान सभा क्षेत्रों का खाका रखा जाएगा. चर्चा इस पर भी होगी कि किन क्षेत्रों को तराश कर नए क्षेत्र गढ़े गए हैं और किन आधारों पर सुरक्षित क्षेत्र तय किए गए हैं. आयोग के मुताबिक अब प्रस्तावित विधान सभा में कुल 114 सीटें होंगी. 90 पर चुनाव हो सकेंगे और 24 पाक अधिकृत कश्मीर की सीटें खाली रहेंगी.
इतिहास में झांकें तो 1995 में जम्मू कश्मीर विधान सभा क्षेत्रों का परिसीमन 1981 की आबादी के आधार पर किया गया था. साल 2001 में वहां की विधान सभा ने उस परिसीमन को मानने और उसी आधार पर चुनाव कराने को 2026 तक टाल दिया था. लेकिन अब जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटा दिया गया है. अब होने वाले परिसीमन के लिए रास्ता साफ है.