कोरोना के इस मुश्किल दौर में देश और दुनिया के कोने-कोने से बुरी, डरावनी और दर्दनाक तस्वीरें आ रही हैं. हालांकि, इस संकट के बीच हिमाचल प्रदेश से अच्छी और सुकुन देने वाली खबर आई है. महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है. करीब-करीब हर इंडस्ट्री, हर सेक्टर तबाह हो रहा है, लेकिन इस मुश्किल दौर में सेब ने बागवानों को मालामाल कर दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना अपना देश समृद्व हो, देश का प्रोडक्ट देश में ही बिके, स्वावलंबी और आत्मनिर्भर भारत हो, आज हिमाचल की सोलन मंडी में साकार होता नजर आ रहा है. किसानों की मानें तो उन्हें पहली बार सेब के इतने अच्छे दाम मिल रहे हैं, जिससे वो बेहद खुश हैं.
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हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी सेब मंडी सोलन में सेब की जबरदस्त मांग चल रही है. इस मंडी से 3.50 अरब रुपये का कारोबार किया जाता है. 40 लाख सेब की पेटियां यहां से भेजी जाती हैं. अगर पूरे हिमाचल की बात करे तो अब तक 1933 ट्रकों के माध्यम से देश की विभिन्न मंडियों में सेब की 8,70,310 पेटियां भेजी जा चुकी हैं. सेब इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है. इस कारण अन्य राज्यों में हिमाचली सेब की मांग बढ़ी हैं. ऐसे में बागवानों को सेब के बेहतर दाम मिल रहे हैं. सेब की 25 किलोग्राम की पेटी 2500 से 3000 रुपये तक बिक रही है.
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गौरतलब है कि चीन से सेब न आने के कारण भी अन्य राज्यों में सेब की मांग बढ़ी है. चीन का सेब पहाड़ी सेब के मुकाबले सस्ता मिल जाता था, लेकिन गलवान घाटी में झड़प के बाद पहाड़ी सेब को व्यापारी तरजीह दे रहे हैं. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा की मंडियां सहित देश की सभी मंडियों में हिमाचली सेब की काफी मांग चल रही है. हालांकि, इस वर्ष सेब का 70 फीसद उत्पादन हुआ है. ओलावृष्टि से सेब की 30 फीसद फसल बर्बाद हुई है. पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष पैदावार भी कम है.