पानीपत जिले के सिवाह गांव में बच्चों की रहस्यमय मौतों के मामले में एक चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है. परिवार का दावा है कि आरोपी महिला पूनम ने तीन अलग अलग मौकों पर वारदात को अंजाम दिया और तीनों दिन एकादशी थी. इससे यह शक और गहरा हो गया है कि मामला किसी तांत्रिक क्रिया से जुड़ा हुआ हो सकता है. परिजनों का कहना है कि हत्या का तरीका तीनों मामलों में एक जैसा था और यह कोई सामान्य घटना नहीं लगती.
यह पूरा मामला उस समय सुर्खियों में आया जब हाल ही में एक बच्ची की मौत के बाद परिवार ने खुलकर अपनी बात रखी. मृतक बच्ची जिया के ताऊ सुरेंद्र ने बताया कि पूनम उनकी चचेरी बहन है और 18 अगस्त को सिवाह गांव आई हुई थी. उसी रात वह जिया के साथ घर पर ही सोई थी. सुबह जब परिवार जागा तो बच्ची दिखाई नहीं दी. काफी तलाश के बाद जिया घर में बने पानी के टैंक में मिली. जिया की मौत से पूरा परिवार टूट गया था.
बच्चों की रहस्यमय मौतों में चौंकाने वाला मोड़
सुरेंद्र ने बताया कि उन्हें उसी समय से पूनम पर शक था. उन्होंने परिजनों के सामने यह बात भी कही कि जिया की हत्या उसी ने की है. लेकिन जब उन्होंने सीधे उसे शक के घेरे में लिया तो पूनम अचानक रोने लगी और सुसाइड करने की धमकी देने लगी. परिवार लोक लाज की वजह से चुप हो गया. उस समय पुलिस में कोई मामला दर्ज नहीं कराया गया. परिवार का कहना है कि तब उन्होंने यह सोचा कि शायद ऐसा दुबारा नहीं होगा और परिवार का नाम खराब न हो. लेकिन यह चुप्पी आगे और ज्यादा खतरनाक साबित हुई.
सुरेंद्र ने बताया कि जब हालिया घटना के बाद उन्होंने पुरानी बातों को दोबारा ध्यान से सोचा और घटनाओं को जोड़कर देखा तो एक चौंकाने वाली बात सामने आई. तीनों वारदात एकादशी के दिन हुई थीं और तीनों का तरीका एक जैसा था. यह संयोग नहीं हो सकता. सुरेंद्र का कहना है कि उन्हें पूरा शक है कि पूनम यह सब किसी तांत्रिक क्रिया के तहत कर रही थी. तीनों बच्चों की मौत एक ही ढंग से हुई थी और इन मौतों के पीछे कोई सामान्य मानसिक अवस्था नहीं हो सकती.
गर्भवती के दौरान नहीं दिया किसी हत्या को अंजाम
परिवार के मुताबिक पहली किलिंग के बाद पूनम तकरीबन डेढ़ साल तक शांत रही क्योंकि वह खुद गर्भवती हो गई थी. इसलिए वह दूसरी किसी वारदात को अंजाम नहीं दे पाई. परिवार का कहना है कि अगर वह उस समय प्रेग्नेंट नहीं होती तो पता नहीं कितने और बच्चे उसकी क्रूरता का शिकार हो जाते. इस डर ने पूरे परिवार को हिला दिया है.
सुरेंद्र, जो आरोपी पूनम के चचेरे भाई हैं, उन्होंने खुले तौर पर मांग की है कि आरोपी को सबसे कड़ी सजा दी जाए. उन्होंने कहा है कि यह मामला सामान्य अपराध का नहीं बल्कि बच्चों की सीरियल किलिंग का है. सुरेंद्र ने कहा कि पूनम को किसी भी हाल में उम्र कैद या दस बीस साल की सजा न दी जाए. उनका कहना है कि अगर पूनम को उम्र कैद भी मिलती है और वह कभी पैरोल पर बाहर आती है तो यह अनुमान लगाना भी मुश्किल है कि वह कितने और बच्चों की जान ले सकती है. इसलिए ऐसे मामले में न्याय तभी पूरा होगा जब उसे फांसी की सजा मिले.
परिजनों ने मांगी कड़ी सजा
परिवार का यह भी कहना है कि अगर शुरुआत में ही पुलिस में मामला दर्ज हो जाता तो शायद यह सिलसिला वहीं थम जाता.लेकिन परिवार के भीतर डर और समाज की बातें इस अपराध को बढ़ाने की वजह बनीं. परिवार आज यही बात कह रहा है कि गलत को शुरू में रोकना चाहिए, चाहे लोग कुछ भी बोलें. क्योंकि एक गलती और एक चुप्पी कभी कभी जानलेवा साबित हो सकती है.
पूरे गांव में अब यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है. लोग इस बात को लेकर दहशत में हैं कि बच्चों की यह मौतें तांत्रिक क्रिया से जुड़ी हो सकती हैं. गांव में लोग इस घटना के बाद अपने बच्चों को लेकर और सतर्क हो गए हैं. घटनाओं का तरीका, एकादशी का दिन और आरोपी के व्यवहार को देखकर कई लोग मान रहे हैं कि इस घटना की जड़ सामान्य नहीं है.
एकादशी का दिन की बच्चों की हत्या
हालांकि इस मामले में पुलिस की जांच जारी है. अधिकारी सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच कर रहे हैं. यह देखा जा रहा है कि क्या वाकई घटनाओं में किसी तांत्रिक गतिविधि का संबंध है या फिर यह किसी मानसिक विकार का मामला है. लेकिन परिवार का दावा है कि पूनम पूरी तरह साफ दिमाग से सब कर रही थी और हर बार एकादशी का चुना जाना किसी बड़े प्लान का हिस्सा है.
सुरेंद्र ने प्रशासन से अपील की है कि पुलिस इस मामले में देरी न करे और आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाए. उनका कहना है कि यह सिर्फ उनके परिवार का नहीं बल्कि समाज के सभी बच्चों की सुरक्षा का सवाल है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसे अपराधों में ढिलाई बरती गई तो यह आगे और बढ़ सकता है.
पुलिस मामले की गहराई से जांच में जुटी
गांव के कई लोग भी प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि बच्चों की हत्या जैसा अपराध किसी भी समाज में अस्वीकार्य है और ऐसी मानसिकता वाले लोगों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्यवाही होनी चाहिए. पूरे गांव में भारी आक्रोश है और लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर तीनों एकादशी के दिन ही वारदात क्यों हुई.
मामले की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे वैसे नए पहलू सामने आ रहे हैं. परिवार और गांव के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि पुलिस जल्द ही पूरी सच्चाई सामने लाएगी और आरोपी को ऐसी सजा दिलाई जाएगी जिससे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.