
हरियाणा के नूंह में 19 जुलाई को खनन माफिया के डंपर ने डीएसपी सुरेंद्र सिंह को कुचलकर मार डाला. वारदात के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, खनन मंत्री और पुलिस अधिकारियों ने तमाम दावे किए. मुख्यमंत्री ने कहा कि अब किसी को गलत काम नहीं करने देंगे. गृहमंत्री अनिल विज ने खनन माफिया के हाथों डीएसपी की हत्या के बाद कहा पुलिस पर हमला बर्दाश्त नहीं करेंगे.
एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के कत्ल के बाद रक्तरंजित अरावली की इन्हीं पहाड़ियों में खतरे के बीच जांच पड़ताल में ये सच सामने आया कि हरियाणा में सिस्टम की मिलीभगत से अवैध खनन का खेल खुलकर चलता है. अरावली की पहाड़ियों में एक-एक रात की ढील लेकर अवैध खनन का रेट फिक्स किया जाता है. पुलिस के साथ मिलकर खनन माफिया अरावली की पहाड़ियों को खोखला कर रहे हैं. अरावली को लूट रहे खनन माफिया ईमानदार अफसरों को खुला चैलेंज देते हैं.
आइए पहले अरावली पर्वत के बारे में जानते हैं...
अरावली पर्वत को दिल्ली एनसीआर का फेफड़ा भी कहा जाता है, जो दिल्ली के प्रदूषण को रोकता है. यानी दो करोड़ से ज्यादा की आबादी को सुरक्षित हवा में सांस लेने के लिए अरावली पर्वत खड़ा है. अरावली पर्वतमाला गुजरात से शुरू होकर हरियाणा राजस्थान पार करते हुए दिल्ली तक मौजूद है. अरावली पर्वत कभी पूरे विश्व का सबसे बड़ा फोल्डेड माउंटेन था, यानी धरातल की चट्टानों के मुड़े जाने बना हुआ पर्वत. अरावली पर्वत शृंखला हरियाणा के 5 जिलों गुड़गांव, मेवात, फरीदाबाद, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ से होकर गुजरती है.
अवैध माइनिंग की वजह से अरावली ना केवल छोटा होता गया, बल्कि अब कई पहाड़ियों के अवशेष ही बचे हैं. अरावली में अवैध खनन को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी के मुताबिक, 1968 के बाद से राजस्थान में अवैध खनन के कारण अरावली रेंज का 25 प्रतिशत हिस्सा गायब हो चुका है. SAVE अरावली ट्रस्ट के संस्थापक का दावा है कि हरियाणा और राजस्थान के बीच 30 से ज्यादा अरावली पहाड़ की चोटियां गायब हो चुकी हैं. यानी अवैध खनन करने वाला माफिया आपसे सुरक्षित सांस लेने का अधिकार छीन रहा है. ईमानदार अफसरों को मार रहा है. आखिर किसके दम पर?

दिल्ली की आबादी समेत तीन करोड़ से ज्यादा लोगों की जिंदगी के लिए जरूरी अरावली के उन्हीं पहाड़ों का सीना छीलकर माफिया अवैध पैसा कमा रहा है. वो माफिया सुप्रीम कोर्ट की मनाही के बावजूद अरावली के पहाड़ों में खनन कर रहा है. वो आखिर कैसे डीएसपी की जान लेने की हिम्मत कर लेता है? इसी सच को समझने के लिए आजतक की टीम नूंह में ही अरावली के खनन माफियाओं के बीच पहुंची.
अवैध खनन से जुड़े हाकमीन और समर से पहचान छिपाकर जब घर बनाने के लिए पत्थर की डिमांड करने के नाम पर बातचीत शुरू की गई और पूछा गया कि आखिर यहां अवैध खनन पर रोक है तो पहाड़ कैसे तोड़े जा रहे हैं? इस पर हाकमीन कहता है कि पुलिस की 50 गाड़ियां आ जाएं ना तब भी पुलिस पकड़ नहीं पाएगी.
ऑपरेशन अरावली में ये सच सामने आया...
- सिस्टम के दावों को धता बताकर बड़े धमाके करके अरावली में अवैध खनन हो रहा.
- पहाड़ियों की भूलभुलैया में ईमानदार अफसरों को चकमा देने का रास्ता अपनाते हैं.
- आसपास के गांव के लोग रोजगार के लिए अवैध खनन में साथ देते हैं.
- अवैध खनन के दौरान संगठित रूप से पूरा गिरोह पुलिस पर नजर रखता है.
- सबसे अहम बात, डीएसपी को मारने के बाद भी अरावली में अवैध खनन जारी है.
खनन मंत्री मूलचंद शर्मा ने डीएसपी सुरेंद्र सिंह की हत्या के बाद कहा था कि ये लोग माफिया नहीं चोर हैं. सैंकड़ों एफआईआर हुई है. मेरा एक ही मानना है कि जैसे एक माइनिंग का इलाका होता है, जहां माइनिंग होती है. जो माइिंग कर रहे थे वे फ़ॉरेस्ट इलाके में पत्थऱ की चोरी कर रहे थे.
अब खनन माफिया हसन ने क्या जानकारी दी
हसन ने बताया कि हर नाके पर पुलिस वालों का हिस्सा है. अवैध खनन की एक-एक रात का हिसाब सिस्टम के साथ तय रहता है. ये खुलासा उस इलाके में हरियाणा के हो रहा है, जहां फरीदाबाद, गुरुग्राम और मेवात रीजन में 2002 और 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने खनन तक पर रोक लगाई है. वहां कानून को धता बताकर कानून के ही कुछ करप्ट हाथों के साथ मिलकर अवैध खनन का धमाका हो रहा है.

आजतक की टीम ने एक और खनन माफिया आसीन से बात की. उसने अवैध खनन के खेल का पूरा कच्चा चिट्ठा सिलसिलेवार तरीके से बताया.
रिपोर्टर- एक डंपर का कितना चार्ज लगेगा?
आसीन- एक डंपर करीब 11-12 हजार रुपया का पड़ेगा.
रिपोर्टर- 12 हजार रुपया ज्यादा नहीं हैं?
आसीन- 12 हजार में हजार-500 रुपया कम हो सकते हैं, मैं तो यहां दुकान पर रहता हूं. मेरा एक भानजा हैं जो काम करता है, पहाड़ भी तोड़ रहा है. वो 4 से 5 हजार रुपया वो लेता है.
रिपोर्टर- कौन?
आसीन- मेरा जो भानजा है. तोड़ेगा, तोड़ कर गाड़ी को भर कर देगा फिर यहां से निकलेगा तो 500-1000 रुपया गेट वाला लेगा.
रिपोर्टर- अच्छा
आसीन- पर्ची बनाएगा, यहां से निकालने के बाद सोहना में 11000-11500 में वो बेच कर आएगा.
रिपोर्टर- पुलिस वगैरह?
आसीन- पुलिस वगैरह गाड़ी मालिक देख लेगा. यहां से हमारा देने का काम है. आगे उसका काम है. पथर कैसे निकलेगा, कैसे नहीं निकालेगा, क्या बचाएगा, उसमें क्या नहीं बचाएगा.
आजतक के ऑपरेशन अरावली के दूसरे हिस्से में ये सच सामने आया है कि...
- अवैध खनन के लिए एक रात का चार्ज तक सिस्टम के भ्रष्टाचारी तय करते हैं.
- अवैध खनन के लिए एक रात की छूट का चार्ज पांच हजार से 10 हजार तक होता है.
- अवैध खनन के ट्रकों के लिए नाकों पर पुलिसवालों का रेट फिक्स किया जाता है.
- ट्रक मालिक का काम प्रशासन के साथ करप्शन की सांठगांठ करना होता है.
- अवैध खनन करके पत्थर भी ओवरलोड होकर जाते हैं.
- अवैध खनन के ट्रक की एक खास पर्ची चलती है, जिसमें सिस्टम में सभी पहचानते हैं.
आजतक के ऑपरेशन अरावली की पूरी पड़ताल के बाद जरूरत है कि अवैध खनन माफिया के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन चलाया जाए, जिसमें जिम्मेदारी भी तय हो. साथ ही वैध खनन में साथ देने वाले सिस्टम के ही भ्रष्टाचारियों की पहचान करने वाली जांच शुरू की जाए. सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की गाइडलाइन का पालन कड़ाई से हो.
(रिपोर्ट- आजतक ब्यूरो)