जींद जिले के उचाना कस्बे के अलीपुरा गांव के रहने वाले हरदीप का चयन वायु सेना में लेफ्टिनेंट के लिए हुआ है. उनके चयन से घर ही नहीं, पूरे गांव में खुशी का माहौल है. लेकिन लेफ्टिनेंट बनने के पीछे हरदीप कि दर्द भरी कहानी रही है. हरदीप जब 2 वर्ष के थे, तभी एक हादसे ने उनके पिता को छीन लिया था.
पिता के गुजर जाने के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ हरदीप की मां संतोष पर आ गया था. लेकिन संतोष ने हार नहीं मानी और अपने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा. ऐसे में एक दिन आया कि हरदीप का चयन अग्निवीर के तहत आर्मी में एयरमैन के पद पर हो गया. लेकिन केंद्र सरकार ने आर्मी सेवाओं को अग्निवीर में बदल दिया. जिससे हरदीप की नौकरी हाथ से छूट गई. नौकरी छूटने से एक बार मायूसी हाथ लगी. लेकिन हरदीप ने हार नहीं मानी और अपनी कड़ी पढ़ाई जारी रखी.
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9वें प्रयास में हासिल की सफलता
आखिर वो दिन भी आ गया कि हरदीप ने सीडीएस (कॉमन डिफेंस सर्विसेज) की कड़ी परीक्षा पास कर ली. सीडीएस एग्जाम पास करने के बाद हरदीप का वायु सेवा में लेफ्टिनेंट के पद पर चयन हुआ है. उनकी नौकरी से पूरा गांव खुश है. हरदीप ने अपनी पढ़ाई 12वीं तक गांव में ही की. उसके बाद इग्नू यूनिवर्सिटी से BA को डिस्टेंस से किया.
हरदीप ने बताया कि इस परीक्षा में उनका यह 9वां प्रयास था और 9वें प्रयास में उन्होंने सफलता हासिल की है. अखिल भारतीय मेरिट सूची में उनका 54वां स्थान था. इसी वर्ष देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी से उत्तीर्ण होने के बाद उन्हें सिख लाइट इन्फेंट्री में कमीशन दिया गया है.
मिड-डे मील में खाना बनाती थीं मां
पिता के गुजर जाने के बाद हरदीप की मां संतोष एक सरकारी स्कूल में मिड डे मील में बच्चों के लिए खाना बनाने का काम करती थीं. उनको महीने के ₹800 दिए जाते थे. इसके अलावा वह एक छोटी सी जमीन की भी देखभाल करती थीं, जिसके बदले भी उन्हें कुछ पैसे मिल जाते थे. लेकिन अब उनका बेटा वायु सेना में लेफ्टिनेंट बन गया है.