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Ground Report: ‘जासूस’ ज्योति जेल में, पिता घर में ‘कैद’, बोले-अपने ही कन्नी काट रहे, वकील का दावा-FIR ही असंवैधानिक!

हिसार का एक मोहल्ला मई में एकदम से चर्चा में आ गया. अच्छी वजहों से नहीं. नए-नकोरे कपड़ों पर लगी खोंच की तरह. इस खोंच का नाम था- ज्योति मल्होत्रा. 33 साल की वो युवती जो खुशरंग चेहरे और लिबासों में वीडियो बनाया करती. कश्मीर से केरल तक नाप चुकी ट्रैवल ब्लॉगर पाकिस्तान भी जा चुकी थी. तीन-तीन दफा. उसपर दुश्मन मुल्क के लिए जासूसी का आरोप लगा. कुछ रोज में दो महीने बीत जाएंगे, लेकिन आरोप वहीं अटका हुआ है. उस मोहल्ले या मल्होत्रा मेंशन नाम की तख्ती वाले उस घर की तरह!

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ज्योति मल्होत्रा के पिताजी कथित जासूसी केस के बाद से लगभग हाउस अरेस्ट हैं.
ज्योति मल्होत्रा के पिताजी कथित जासूसी केस के बाद से लगभग हाउस अरेस्ट हैं.

पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में फंसी ज्योति मल्होत्रा की सोमवार 7 जुलाई को कोर्ट में पेशी हुई. इसके बाद आरोपी की न्यायिक हिरासत दो हफ्तों के लिए बढ़ गई. इस बीच हमने उनके वकील कुमार मुकेश से मुलाकात की. अपनी क्लाइंट की बेगुनाही के पक्ष में वे कई पॉइंट्स गिनाते हैं.

‘ज्योति को हिसार पुलिस ने 17 मई को अरेस्ट कर लिया था. 9 दिनों की रिमांड के बाद से वो न्यायिक हिरासत में है. पुलिस के पास चालान पेश करने के लिए 90 दिन हैं. अगर ये नहीं हो सका, तो मेरी क्लाइंट को डिफॉल्ट बेल मिल जाएगी. वैसे देखा जाए तो पूरी की पूरी FIR ही असंवैधानिक है. इसमें ज्योति से उसके ही खिलाफ गवाही दिलवाई गई, जबकि कानूनन, कोई भी शख्स अपने खिलाफ गवाह नहीं बनाया जा सकता.’

इधर ज्योति के पिता कहते हैं- बच्ची ने दुख ही दुख देखा. ढाई साल की थी, जब मां झूलाघर में छोड़कर भाग गई. तीन दिन बाद मुझे उसकी खबर मिली. पढ़-लिखकर नौकरी पाई तो कोविड में वो भी चली गई. फिर वीडियो बनाने लगी. काम जम ही रहा था कि पुलिस पकड़कर ले गई. कल तक हंसकर बतियाते पड़ोसी उसे जासूस और आवारागर्द कहते हैं. साफ-सुथरी लौट आए तो भी अब दाग कहां छूटेगा!

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बेटी का कमरा दिखाते हुए हरीश धीरे-धीरे चलते हैं, मीलों दूर से आए उस शख्स की तरह, जो दूरी से ज्यादा दूरी के खयाल से उकता गया हो. जिन जगहों पर बेटी गई थी, फ्रिज पर उनकी निशानियां लगी हुईं. बाकी सरसरी नजर में पूरे घर में ऐसा कुछ नहीं, जो उसे किसी ग्लैमरस ब्लॉगर के घर से जोड़ सके.

आपकी बेटी कितने देश घूम चुकीं. कभी कुछ लाई नहीं वहां से!

हां, पाकिस्तान से लौटते हुए एक बार केक लेकर आई थी.

ये बोलते पिता को पता ही नहीं कि पाकिस्तानी केक पर किसी समय कितना बवाल हो चुका. न ही उसे ये याद रहता है कि वो खुद ताजा-ताजा ज्योति की पाकिस्तान यात्रा से इनकार कर चुका. जितना दुख, जितनी एहतियात थी, शायद सब खर्च हो चुकी.

harish malhotra Jyoti's father hisar
ज्योति के पिता हरीश मल्होत्रा बेटी को बेगुनाह मानते हुए उनसे लगातार संपर्क में हैं. 

ज्योति का घर पता करना खास मुश्किल नहीं था. बिना मैप के भी हम उस घर तक थे. बाहरी दीवार में लगी तख्ती पर मल्होत्रा'ज मेंशन लिखा हुआ. साथ में नामों के इनिशियल्स, जिसमें एक J भी था, यानी ज्योति. घंटी बजाने पर जाली से झांकता एक चेहरा झल्लाता है- कौन हो, किससे मिलना है?

'दिल्ली से आए हैं, बात करनी है.' ये सुनते ही झल्लाहट गुस्से में बदल जाती है. 'नहीं मिलना मुझे. दिल्ली से आए हो तो क्या रोटी-पानी दे दूं!' थोड़ी बकझक के बाद किवाड़ खुल जाता है. ये ज्योति के पिता है- हरीश मल्होत्रा.

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गुस्से की लगभग सफाई देते हुए कहते हैं- जीना मुश्किल कर रखा था दिल्ली वालों ने. भीड़ ही भीड़. यहीं घर के सामने खड़े होकर ज्योति को जासूस, देशद्रोही जाने क्या-क्या बोलते. घर में भीड़ रहती. छोटा मोबाइल दिन-रात बजता. हालत ऐसी हुई कि मुझे पानी चढ़ाना पड़ गया. तब से दरवाजा ही नहीं खोलता.

संभलने के बाद बातचीत शुरू होती है.

ज्योति से कितनी बार मिल चुके?

मिलता ही रहता हूं, हर मंगल के मंगल जेल जाता हूं. रोज फोन भी आता है. पांच मिनट मुझसे, पांच मिनट अपने काका से बात करती है. कभी अपने वकील को भी फोन करती है.

इतने यूट्यूबरों को पकड़ा गया, लेकिन आपकी बेटी का नाम सबसे ज्यादा आया, क्या वजह रही होगी!

समझ तो हमें भी नहीं आ रहा कि क्यों फंसाया गया है. कुछ मिला नहीं, तब भी छोड़ नहीं रहे. ज्योति के लैपटॉप, फोन, बैंक के कागज- सब ले गए. मेरे भी सारे कागज और स्कूटी ले गए थे.  यहां तक कि एक पुराना फोन गंद (कूड़े) में पड़ा था, उसे भी निकाल ले गए. मेरी भी एक कॉपी ले गए.

कौन सी कॉपी?

दिखाता हूं, यहीं बिस्तरे में नीचे रहती है. कहते हुए वे एक नोटबुक निकालते हैं. सब्जी, हल्दी, साबुन, दूध का हिसाब. कब, कितनी चाय पी, इसका लेखाजोखा. तारीखवार हिसाब में ज्योति के जेल जाने से पहले और बाद का- दोनों वक्त दिखता है.

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harish malhotra Jyoti's father hisar
रोजमर्रा के खर्चों का बहीखाता भी बकौल हरीश, पुलिस लेकर चली गई थी. 

नोटबुक दिखाते हुए याद करते हैं- 15 मई की दोपहर गाड़ी भरकर पुलिसवाले आए. सामान उलट-पुलट किया, और जो जरूरी लगा, लेकर लौट गए. ज्योति से अगले दिन सुबह आने को कह गए. वो स्कूटी लेकर खुद गई. इसके बाद से ही मेरी बेटी जेल में है. कल तक तो रिश्तेदार ज्योति की वीडियो देखते-दिखाते थे, उन्होंने बोलचाल बंद कर दी. भाई को फोन लगाओ तो पता नहीं क्या आवाज आती है, लेकिन बात नहीं होती. पड़ोसी बात करना छोड़ चुके. कुछेक ने तो उसे आवारगर्द तक कह दिया.

ज्योति खुद क्या कहती हैं?

क्या कहेगी! उसे कोई डर नहीं. कहती है- पापा, मैं निर्दोष हूं. मैंने जो वीडियो बना रखी है, सबकुछ उतना ही है. कहीं, कोई और बात नहीं.
लेकिन आपकी बेटी लगातार पाकिस्तान भी जाती रहीं?

हां. लेकिन मुझे ये नहीं पता. वो कहती थी कि दिल्ली जा रही हूं. मैं कहता था, जहां जाना हो, जा लेकिन मेरी बदनामी मत करवाना. मुझे पता होता तो मैं क्या उसे दुश्मन देश जाने देता!

कहा तो ये जा रहा है कि वहां आपकी रिश्तेदारी भी है!

ठिठकता हुआ जवाब लौटता है- ये तो मुझे भी नहीं पता. मेरी बुआ जब जिंदा थी, तो एक वीडियो में ऐसा कह रही थीं. लेकिन हमें कुछ नहीं पता. न कभी किसी और ने कहा.

ज्योति देश-विदेश घूमती थी, वीडियो में नए-नए कपड़े दिखते थे! कभी आपने पूछा कि ये सब कैसे हो रहा है!

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jyoti malhotra hisar espionage case
ट्रैवल विद जो नाम से यूट्यूब चैनल चला रही ज्योति लगातार महंगी यात्राएं करती दिखती थीं. 

सवाल पर हरीश गुम से दिखते हैं, फिर कहते हैं- हमारा घर तो भाई की पेंशन से चलता है. ज्योति अपने लिए कमाती थी, हमसे कुछ नहीं मांगा. रही बात कपड़ों की तो मैंने भी पूछा था. उसने कहा कि पापा मंगाकर एकाध बार पहनकर लौटा देती हूं. इससे उनका मोल नहीं लगता.

अनजाने ही इतना सब बता गए पिता शादी का जिक्र भी करते हैं. दसियों साल पुरानी बातें याद करते हुए कहते हैं - तब मैं जवाहर नगर में रहता था. ज्योति को एक सुबह उसकी मां लेकर गई और झूलाघर में छोड़ दिया. ढाई साल की लड़की तीन दिन वहीं पड़ी रही. मैं गया तो चिपटकर रोने लगी. तब से पाल रहा हूं. 10 साल पहले से शादी के लिए कह रहा था कि लेकिन कुछ न कुछ गड़बड़ चलती रही. फिर मैंने बोलना ही छोड़ दिया कि कहीं कुछ कर-करा न ले.

हम बात कर ही रहे थे, कि एक महिला अंदर आती हैं. हरीश धीरे से कहते हैं - रोटी के लिए कामवाली लगा रखी है. वही सब कर जाती है. फिर अचानक ही आवाज में नमी आती है. ज्योति को जेल में खाना जाने कैसा मिले, न मिले, तो मैंने उसके कार्ड में पैसे जमा कर दिए. पहले दो हजार. फिर पांच हजार. जो मन हो खाए. बाकी उसने अपनी तरफ से कुछ मांगा नहीं, सिवाय एक प्लेट, पतीले और गिलास के.

बात आगे बढ़ाते हुए वो कहते हैं, शादी-ब्याह की बात करें तो भी लोग पूछेंगे कि इतने दिन जेल में रही, कैसी है, क्या करती है. कुछ न कुछ कमी तो रह ही जाएगी.

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फोटो नहीं खींचने का भरोसा देते हुए हम ज्योति का कमरा देखते हैं. पलंग के ठीक ऊपर ज्योति की मुस्कुराती तस्वीर और साथ में यूट्यूब का सिल्वर बटन अवॉर्ड टंगा हुआ. कॉलेज हॉस्टल  की तर्ज पर कुछ हल्के-फुल्के पोस्टर भी हैं, जैसे पीने के हैं चार दिन...! हर तरफ ज्योति की मौजूदगी फैंटम लिम्ब सिंड्रोंम की तरह दिखती हुई. पिता उसका नाम लेते हुए. ताऊ उसकी बात पूछते हुए. और मोहल्ले वाले भी हर नए चेहरे को उसी नामौजूद चेहरे से जोड़ते हुए.

advocate kumar mukesh hisar
वकील मुकेश कुमार FIR पर ही सवाल उठाते हैं कि वो संवैधानिक नहीं. 

हमारी मुलाकात ज्योति के वकील कुमार मुकेश से भी हुई. वे कहते हैं- ‘मेरी क्लाइंट को 17 मई से दो बार रिमांड पर रखा गया. इसके बाद से ज्यूडिशियल कस्टडी आगे बढ़ाई जा रही है. हमने बेल की अर्जी भी लगाई लेकिन पुलिस की तरफ से जवाब आया कि वे अभी ज्योति के लैपटॉप से मिले डेटा और बैंक खातों की पड़ताल कर रहे हैं’.

‘वैसे देखा जाए तो पूरी FIR ही असंवैधानिक है. इसमें कहीं भी ये नहीं बताया गया कि पुलिस के पास इनपुट कहां से आया. ज्योति के ही हवाले से लिखा गया कि उसने बताया कि मैं पाकिस्तान गई और उनके लिए जासूसी की. मैंने आज तक ऐसी FIR नहीं देखी, जिसमें आरोपी खुद बता रहा हो कि उसने गलत किया है. संविधान का आर्टिकल 20 हमें सेल्फ इनक्रिमिनेटिंग से बचाता है यानी खुद ही खुद को गलत साबित नहीं किया जा सकता. जबकि इसमें पुलिस ज्योति को ज्योति के खिलाफ गवाह बना रही है’.

जब ये इतनी बड़ी बात है तो बेल क्यों नहीं हो रही?

हो जाएगी. 90 दिन बाद पुलिस को चालान देना ही होगा वरना ज्योति को डिफॉल्ट बेल मिल जाएगी. शायद पुलिस को कुछ मिल ही नहीं रहा हो, तभी वो कस्टडी को आगे बढ़ाए जा रही है. एक बात ये भी हो सकती है कि चालान में कुछ खास न मिले और वे खुद ही कैंसलेशन रिपोर्ट जारी कर दें. यानी कोर्ट के सामने मान ले कि जांच हुई और कोई सबूत नहीं मिला.

ऐसा होने पर आपकी क्लाइंट क्या किसी के खिलाफ मानहानि का केस भी कर सकती हैं?

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ये तो पूरी तरह से ज्योति की मर्जी है. आरोप साबित हुए बिना उन्हें बहुत कुछ कहा गया. देशद्रोही तक का ठप्पा लगा दिया. दूसरों के साथ नाम जोड़ा गया. बिना बात बदनामी के लिए केस बन सकता है.

ज्योति के लग्जरिअस तौर-तरीकों और दानिश से उसके रिश्तों की भी बात हो रही है!

लग्जरी में रहना देशद्रोह या जासूसी नहीं. उसका काम ही ऐसा था. विदेशी कंपनियां भी प्रमोशन के लिए उसे बुलाती थीं. वो रेलवे के लिए काम कर चुकी. स्टेट सरकार ने भी न्यौता दिया था. ये ट्रिप स्पॉन्सर्ड होते हैं. रही बात दानिश की, तो वो पाकिस्तान एंबेसी में था. बहुत से लोग वहां वीजा के लिए जाते और दानिश से मिलते थे. वो भी मिली. 13 मई को दानिश को पर्सोना नॉन ग्रेटा कहा गया, उसके बाद से ज्योति की उससे बात नहीं हुई.

press note on Jyoti Malhotra case
मई में जारी हुए प्रेस नोट का एक अंश .


हालांकि इसका एक और पक्ष भी है. पुलिस भले ही मानती है कि अब तक ज्योति के किसी आपराधिक संगठन या आतंकी घटना से संबंध नहीं मिले, लेकिन वो ऐसे लोगों के संपर्क में जरूर थी, जिनपर पाकिस्तान के खुफिया ऑपरेटिव्स होने का शक है.

एडवोकेट कुमार मुकेश केस में और कई पॉइंट्स पर बात करते हैं.

‘FIR में ज्योति पर ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट (OSA) लगाया गया. ये तब होता है, जब किसी पर देश की खुफिया जानकारियों को हासिल करने या उसे साझा करने का आरोप हो. लेकिन इस केस में एसपी हिसार ने खुद प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि जांच के दौरान अब तक ऐसी बात सामने नहीं आई कि मेरी क्लाइंट की किसी सैन्य या संवेदनशील जानकारी तक पहुंच हो. अब अगर सीक्रेट जानकारी तक पहुंच ही नहीं है तो ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट तो अपने-आप खारिज हो जाएगा’. 

‘रिपोर्ट में देशद्रोह के भी आरोप हैं. मेरी यहां भी आपत्ति है. साल 2023 से ही ज्योति पाकिस्तान जा रही थी. यानी देखा जाए तो अपराध तभी से शुरू हो चुका था. इस मामले में पुलिस ने BNS की धारा 152 लगाई है, जबकि कानून कहता है कि अपराध जिस टाइम फ्रेम में हो, उसी हिसाब से धाराएं लगेंगी. यानी ज्योति के केस में IPC की धारा 124-A लगनी चाहिए. राजद्रोह की विवादास्पद इस धारा पर भी साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही रोक लगा दी थी. मतलब क्लाइंट पर देशद्रोह का केस ही नहीं बनता है’.

फोन पर केस डिटेल देते हुए इनवेस्टिगेशन ऑफिसर निर्मला कहती हैं- अभी तहकीकात चल ही रही है. हर 14 दिन पर पेशी होती है. जांच पूरी हो जाएगी, और हम चालान पेश करेंगे, उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है. 

इधर हिसार में इस पूरी प्रक्रिया को करीब से देख रहे एक अधिकारी कहते हैं- हो सकता है कि ज्योति अनजाने में ही इस्तेमाल हो गई हो. उसे शानदार जिंदगी की इच्छा रही होगी, और यहां उसे इसका भरोसा मिला होगा. शायद वो जानती न हो कि दुश्मन मुल्क के पक्ष में बात करना भी नैरेटिव की लड़ाई का हिस्सा हो सकता है, खासकर जब मौका संवेदनशील हो.

जब हम इस स्टोरी पर काम कर रहे थे, तभी पता लगा कि पिछले साल ज्योति को केरल टूरिज्म विभाग की तरफ से भी न्यौता मिला था. एक RTI के जवाब में यह बात सामने आने के बाद से बवाल मचा हुआ है. बीजेपी सरकार राज्य सरकार पर जासूसों को आमंत्रित करने का आरोप लगा रही है. वहीं सफाई देते हुए केरल सरकार में टूरिज्म मिनिस्टर पीए मोहम्मद रियाज ने कहा कि उन्होंने ज्योति ही नहीं, कई और ब्लॉगर्स को भी बुलाया था ताकि वे केरल के पर्यटन के बारे में प्रचार कर सकें.

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