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मानेसर लैंड स्कैम में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हाईकोर्ट से झटका, CBI कोर्ट में ट्रायल का रास्ता साफ

मानेसर लैंड स्कैम में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. पूर्व सीएम हुड्डा के खिलाफ अब सीबीआई कोर्ट में आरोप तय होंगे और ट्रायल शुरू होगा.

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भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर तय होंगे आरोप (Photo: ITG)
भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर तय होंगे आरोप (Photo: ITG)

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. मानेसर लैंड स्कैम केस में हुड्डा को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने इस मामले में हुड्डा की याचिका खारिज कर दी है. हाईकोर्ट के फैसले के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ ट्रायल शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ ट्रायल पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट में चलेगा. विशेष सीबीआई कोर्ट में अब पूर्व सीएम हुड्डा पर आरोप तय किए जाएंगे. गौरतलब है कि मानेसर लैंड स्कैम में सीबीआई पहले ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत 34 आरोपियों के खिलाफ 80 पन्नों की चार्जशीट दायर कर चुकी है.

अब सीबीआई कोर्ट में आरोप तय किए जाएंगे और इसके बाद इस हाई प्रोफाइल केस में नियमित ट्रायल शुरू होगा. यह मामला 2005 से 2007 के बीच मानेसर इलाके में जमीन अधिग्रहण से जुड़ा है. तब हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही थे. भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते 25 अगस्त 2005 को इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (IMT) की प्रक्रिया रद्द कर दी थी और उसी दिन सेक्शन-6 का नोटिस जारी करवा दिया था.

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इसके बाद सेक्शन-9 का नोटिस जारी किया गया, जिसके तहत प्रति एकड़ 25 लाख रुपये मुआवजा तय किया गया था. इस दौरान कुछ बिल्डर्स ने किसानों से करीब 400 एकड़ जमीन औने-पौने दाम में खरीद ली. बाद में 2007 में हुड्डा सरकार ने इस जमीन को अधिग्रहण से मुक्त कर दिया. इसकी वजह से भी किसानों को करीब 1500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

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इस मामले की जांच सीबीआई ने साल 2015 में शुरू की थी और सितंबर 2018 में चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी. हाईकोर्ट से हुड्डा को लगे झटके के बाद अब सीबीआई कोर्ट इस केस में आरोप तय करेगी और फिर ट्रायल शुरू होगा. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जांच के आदेश दिए थे.

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यह कहा गया था कि जमीन अधिग्रहण रद्द करने का फैसला दुर्भावनापूर्ण और धोखाधड़ीपूर्ण था. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को बिचौलियों को हुए अनुचित लाभ की जांच करने  और राज्य सरकार को एक-एक पाई वसूलने के निर्देश दिए थे.

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