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बल्लभगढ़: दंगाइयों को गिरफ्तार करने की मांग

हरियाणा के बल्लभगढ़ में अभी भी तनाव कम नहीं हुआ है. अटाली गांव में दंगों के आठ दिन बाद भी पीड़ित अपने गांव लौटने को तैयार नहीं है. मुसलमान परिवारों की मांग है कि जब तक दंगाइयों की गिरफ्तारी नहीं हो जाती, तब तक वो अपने गांव नहीं लौटेंगे.

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बल्लभगढ़ में सांप्रदाय‍िक दंगे
बल्लभगढ़ में सांप्रदाय‍िक दंगे

बल्लभगढ़ में सांप्रदायिक हिंसा बाबरी मस्ज‍िद केस का रूप धारण करता जा रहा है. मुसलमान और हिंदू समुदाय में हिंसा के आठ दिन बाद भी खींचतान है. पंचायत की बैठकों के बाद भी दोनों समुदाय सुलह को तैयार नहीं है. मुसलमान अटाली गांव में मस्जि‍द बनाने के फैसले में अड़े हैं, तो हिंदू मंदिर के पास मस्जि‍द नहीं बनने देने की जिद में है.

हरियाणा के बल्लभगढ़ में अभी भी तनाव कम नहीं हुआ है. अटाली गांव में दंगों के आठ दिन बाद भी पीड़ित अपने गांव लौटने को तैयार नहीं है. मुसलमान परिवारों की मांग है कि जब तक दंगाइयों की गिरफ्तारी नहीं हो जाती, तब तक वो अपने गांव नहीं लौटेंगे.

वहीं, बल्लभगढ़ में जाट और मुस्ल‍िम समुदाय के बीच बुलाई बैठक का भी कोई नतीजा नहीं निकला. मुसलमानों ने मांग की है कि सभी दंगाइयों की गिरफ्तारी हो और साथ ही मस्जिद को अटाली गांव के पास बने मंदिर की पास की जमीन में बनाने की मंजूरी दी जाए.

दूसरी ओर, अटाली में हुई जाट की बैठक में उन्होंने मुसलमानों को मस्जिद को अटाली गांव से बाहर बनाने का प्रस्ताव दिया और कहा कि वह पूरे निर्माण का खर्च उठाएंगे, लेकिन मुसलमान और जाट समुदाय ने एकदूसरे के प्रस्ताव को मानने से साफ इनकार कर दिया है.

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आपको बता दें कि अटाली गांव में दो संप्रदायों के बीच एक सप्ताह पहले मस्ज‍िद के निर्माण को लेकर हुए विवाद के बाद मुस्ल‍िम समुदाय के लोग पलायन कर बल्लभगढ़ थाना परिसर में शरण लिए हुए हैं. इस दंगे में एक घंटे के अंदर 15 लोग घायल हुए थे और 20 घर जलकर खाक हो गए थे.

सोमवार को विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि बीजेपी एमएलए मूलचंद शर्मा और बीएसपी एमएलए टेक चंद शर्मा मुसलमान समुदाय के लोगों से पुलिस स्टेशन में मिलने पहुंचे. गांव में रहने वाले इसाक लामबरदार ने बताया, 'ये नेता जैसा ही प्रस्ताव देकर गए जैसा कि पहले दिया था. उन्होंने कहा कि वह आरोपियों को गिरफ्तार करेंगे और हमें मस्जिद भी बनाने देंगे, लेकिन अभी नहीं. उन्होंने हमें मुआवजा दिलाने का भी आश्वासन दिया.'

गांव में रहने वाले निजाम अली कहते हैं, 'इसके पहले भी प्रशासन के साथ ही तीन बैठक में आश्वासन ही मिले, लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं निकल रहा है. दंगाइयों ने हमारे घर जला दिए, हमें लूटा और हमारी जिंदगी खराब कर दी और इसके बाद भी हम लोगों को ही समझौता करने की बात कही जा रही है. कोर्ट ने जब कह दिया है कि जमीन हमारी है तो हमें मस्ज‍िद बनाने क्यों नहीं दिया जा रहा है?'

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एक जाट किसान सुधीर सिंह चौधरी ने कहा, 'अगर मुसलमान समुदाय गांव वापस लौटता है और मस्ज‍िद, मंदिर के पास में बनता है तो यह अप्राकृतिक होगा. इससे आगे भी हिंसा होने की आशंका है. तो ये गांव के लिए कैसे अच्छा हो सकता है?'

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