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जमीन विवादः गुजरात CM की बेटी ने कहा- मैंने कुछ गलत नहीं किया

गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की बेटी अनार पटेल ने उन आरोपों को गलत बताया है जिनमें कहा गया था कि उनकी कंपनी को गुजरात सरकार ने सस्ते दाम पर जमीन दी.

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अनार पटेल
अनार पटेल

गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की बेटी ने खुद पर लगे आरोपों को लेकर सफाई दी है. एक मीडिया रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि आनंदी बेन पटेल की बेटी अनार जयेश पटेल के बिजनेस पार्टनर को करोड़ों की जमीन सस्ते दाम पर दे दी गई. लेकिन अनार ने इस आरोप का खंडन किया है.

क्या है मामला
अंग्रेजी अखबार द इकोनॉमिक्स टाइम्स ने खुलासा किया था कि अनार पटेल की कंपनी को सस्ते दाम पर जमीन दे दी गई. कंपनी गिर सैंक्चुरी के पास 400 एकड़ में फैली है. गुजरात सरकार ने 2010-11 में 250 एकड़ जमीन उनकी कंपनी को 15 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से दे दी. जमीन वाइल्डवुड्स नाम की कंपनी को दी गई थी, जो अनार की बिजनेस पार्टनर है. यह एग्रीकल्चरल लैंड थी, जिसे नॉन एग्रीकल्चरल में कन्वर्ट किया गया.

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अनार ने क्या कहा?
अनार पटेल ने फेसबुक पर सफाई दी. उन्होंने लिखा, 'मैंने और मेरे पति ने 22 साल समाज सेवा की. मेरे पति ने स्वच्छता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. परिवार चलाने के लिए मैंने फाइनेंस और मार्केटिंग में एमबीए किया और बिजनेस में आ गई. मेरा मानना है कि ईमानदारी और नैतिकता के साथ कारोबार करना सबका हक है. मैंने आज तक सभी काम सही तरीके से किए हैं. ऐसे में लोग जब नैतिकता पर सवाल उठाते हैं तो दुख होता है. सच की हमेशा जीत होती है.'

My husband & I dedicated more than 22 years in social service, my husband surrendered his life for sanitation. To take...

Posted by Anar Patel on Friday, February 5, 2016

अनार पर यह आरोप
रिपोर्ट छपने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि अनार की कंपनी के लिए 250 एकड़ जमीन 15 रुपये प्रति वर्गमीटर यानी 60 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से सवा करोड़ रुपये में में दी गई. जबकि जमीन की कीमत 50 लाख रुपये प्रति एकड़ है.

कांग्रेस ने की जांच की मांग
आनंद शर्मा ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार और परिवारवाद को बर्दाश्त नहीं करने के दोहरे मापदंड की पोल खुल गई है. उन्होंने एसआईटी बनाकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में तय समयसीमा के भीतर जांच कराने की मांग की. साथ ही आनंदीबेन का इस्तीफा भी मांगा.

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