गुजरात की 26 सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ एक ही सीट मिली और वह सीट जीतकर भी कांग्रेस ऐसे खुश है जैसे उसने भाजपा से ज्यादा सीटें जीती हो. 10 साल बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस गुजरात में खाता खोलने में सफल रही है. वह भी तब जब सब लोग मान रहे थे कि इस बार भी सभी 26 सीटें भाजपा जीत कर हैट्रिक करेगी और भाजपा के अध्यक्ष सी आर पाटील ने सभी सीटों पर भाजपा के 5 लाख की लीड से जीतने का लक्ष्य रखा था.
गुजरात में भाजपा नहीं कर पाई क्लीन स्वीप
गुजरात की 26 सीटों में से सूरत की सीट मतदान से पहेले ही निर्विरोध भाजपा जीत चुकी थी. एसे में माना जा रहा था कि सभी 26 सीटें भाजपा आसानी से जीत जाएगी, पर 4 जून को जब चुनावी परिणाम घोषित हुए तब भाजपा बाकी 24 सीटें तो जीती पर आखिरी 3 राउंड की गिनती में बनासकांठा सीट 30 हजार से ज्यादा मतों से हार गई. कांग्रेस विधायक गेनीबेन ठाकोर ने भाजपा की रेखाबेन चौधरी को कांटे की टक्कर में हराया. यह सीट साल 2013 से भाजपा के पास थी और इस साल के चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पडा. भाजपा को अंदरूनी गुटबाजी की वजह से हार का सामना करना पड़ा. क्योंकि पार्टी बनासकांठा लोकसभा की 2 विधानसभा सीट डीसा और पालनपुर सीट पर ज्यादा लीड नहीं निकाल पाई जिसकी वजह से करीबी मुकाबले में गेनीबेन ठाकोर ने भाजपा को करारी मात दी.
भाजपा ने नहीं मनाया विजयोत्सव
राजकोट के गेम जोन की ट्रेजेडी के बाद गुजरात भाजपा ने पहले ही घोषणा की थी कि 4 जून को जीत के बाद भाजपा का कोई उम्मीदवार और पार्टी किसी प्रकार का जश्न नहीं मनाएगा. जिस तरह के देश के परिणाम आये उसके बाद भाजपा की जीत फीकी हो गई और ज्यादातर कार्यकर्ता उदासीन नजर आए. दोपहर 3 बजे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटील और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल भाजपा प्रदेश कार्यालय पहुंचे और प्रेसवार्ता भी की. दोनों ने कहा कि हमें एक सीट गंवाने का दुख है, जो भी कमी रही होगी वह हम पूरी करने की कोशिश करेंगे. लगातार तीसरी बार हमने सभी 26 सीटें जीतने के लीए मेहनत की थी पर हमारी कोशिश में कुछ कमी रही, जिसकी वजह से हम यह नहीं कर पाए और एक सीट हार गए.
तो वहीं कांग्रेस की एक सीट जीतने के बावजूद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहील ने इसके लिए जनता का धन्यवाद मानते हुए कहा कि जनता ने भाजपा का अहंकार तोड़ा है, हर सीट 5 लाख कि लीड से जीतने का दावा कर रही थी पर एसा कुछ नहीं हुआ. भाजपा सरकार ने लोकतंत्र को कलंकित किया फिर भी बनासकांठा में हम जीते और बाकी सारी सीटों पर अच्छी फाइट दी.
गुजरात में भाजपा के लिए इस बार यह परिणाम उत्साहजनक नहीं है, क्योंकि साल 2022 के विधानसभा चुनावों में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद भाजपा आश्वस्त थी कि गुजरात में वह लगातार तीसरी बार सभी 26 सीटें जीतेगी, पर कांग्रेस के अच्छे उम्मीदवारों के चयन और भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी की वजह से सभी सीटों पर भाजपा को जीतने के लिए मशक्कत करनी पडी. 12 सीटें ऐसी है जहां पर भाजपा के विजेता उम्मीदवारों की लीड साल 2019 से कम हुई है. सिर्फ अमित शाह और सी आर पाटील ही अपनी लीड बढ़ा पाए हैं. सी आर पाटील फिर एक बार नवसारी सीट से 7.77 लाख मतों से जीते और अमित शाह भी गांधीनगर सीट से 7.44 लाख मतों से विजयी रहे.
भाजपा को अपनी इस जीत पर उतनी खुशी नहीं है, क्योंकि गुजरात भाजपा का हमेशा से गढ़ रहा है. वैसै यहां पर एक सीट भी गंवाना भाजपा के संगठन और सरकार दोनों की नाकामयाबी माना जाएगा. पीएम मोदी के गृह राज्य में एक सीट हारना भाजपा को बैकफूट पर डाला है, वहीं कांग्रेस इस जीत से काफी उत्साहित है. अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस पाएगी या नहीं.