गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अपने सियासी समीकरण दुरुस्त करने में जुटी है. सूबे में 27 साल के सत्ता के वनवास को खत्म करने के लिए कांग्रेस अपनी पुरानी सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले पर लौट रही है. यही वजह है कि पार्टी ने गुजरात कांग्रेस की कमान ओबीसी नेता को सौंपी है तो प्रतिपक्ष की कुर्सी पर आदिवासी समाज के नेता को बैठाया है. गुजरात की सियासी जंग फतह करने के लिए कांग्रेस ने ओबीसी, आदिवासी, दलित, पटेल मुस्लिम समुदाय को साधने की रणनीति बनाई है.
कांग्रेस ने आदिवासी समुदाय से आने वाले विधायक सुखराम राठवा को गुजरात विधानसभा में प्रतिपक्ष का नया नेता चुना है. साथ ही जगदीश ठाकोर को गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया है, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज से आते हैं. गुजरात में करीब 9 महीने से खाली जगह चल रहे दोनों पदों पर नियुक्ति कर दी गई है. राठवा ने परेश धानाणी की जगह ली है तो ठाकोर अब अमित चावड़ा की कुर्सी संभालेंगे.
कांग्रेस ने अनुभवी नेता को कमान सौंपी
गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने अपने दोनों अनुभवी नेताओं को सत्ता के वनवास को खत्म करने की जिम्मेदारी सौंपी है. पिछले दिनों राहुल गांधी ने गुजरात कांग्रेस के नेताओं की दिल्ली में बैठक बुलाई और इसमें गुजरात कांग्रेस के नेताओं ने मांग करते हुए कहा था कि प्रदेश अध्यक्ष और प्रतिपक्ष की कुर्सी किसी अनुभवी व्यक्ति को दिया जाए. इसी के चलते पार्टी ने सूबे के दोनों अहम पदों पर पार्टी के अनुभवी चेहरे पर दांव लगाया है.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बने 64 साल के जगदीश ठाकोर का संबंध बनासकांठा में कंकरेज इलाके से है. गुजरात विधायक दल के नेता चुने गए सुखराम राठवा छोटाउदेपुर जिले के पावी-जेटपुर विधानसभा क्षेत्र से आते हैं और 64 साल के हैं. कांग्रेस ने अनुभवी नेताओं के तजुर्बे का लाभ उठाने के साथ-साथ सियासी समीकरण को भी बेहतर बनाने की कवायद की है, जबकि युवा चेहरे को भी मोर्चे पर लगाने की रणनीति है.
ओबीसी-अदिवासी वोट पर नजर
गुजरात की सियासत में जगदीश ठाकोर की पहचान एक तेजतर्रार नेता की तौर पर है, जबकि सुखराम राठवा विनम्र शख्सियत के साथ बेहतर वक्ता के तौर पर जाने जाते हैं. इससे साफ है कि गुजरात में कांग्रेस ने फिर से अपने पुराने और हार्ड कोर वोटबैंक ओबीसी, दलित, आदिवासी के साथ-साथ पटेल और मुस्लिम को लेकर प्लान बनाया है.
2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अल्पेश ठाकोर को सियासी महत्व देकर ओबीसी को साधने के दांव चला था, लेकिन अल्पेश के बीजेपी खेमे में चले जाने से पार्टी को झटका लगा था. ऐसे में अब कांग्रेस ने 2022 के चुनाव से ठीक पहले जगदीश ठाकोर को पार्टी की कमान सौंपी है. आदिवासी वोटों के लिए सुखराम राठवा को आगे बढ़ाया है.
दलित-पटेल वोट के लिए युवा चेहरे
गुजरात में दलित नेता के तौर पर अपनी पहचान बना चुके जिग्नेश मेवानी अब कांग्रेस के साथ हैं तो पटेल आरक्षण आंदोलन का चेहरा रहे हार्दिक पटेल भी कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं. हार्दिक गुजरात में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. इस तरह से दोनों युवा चेहरों की अपने-अपने समुदाय में अच्छी पकड़ मानी जाती है. जगदीश ठाकोर, सुखराम राठवा के साथ जिग्नेश और हार्दिक कांग्रेस के चेहरा होंगे.
साल 2022 के आखिर में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी है. इसके लिए कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष, विपक्ष के नेता का चयन कर सोशल इंजीनियरिंग तय कर दी है. इससे पार्टी को उम्मीद है कि वह 27 साल का सियासी वनवास जरूर खत्म कर पाएगी.