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गुजरात के इतिहास में पहली बार नेता विपक्ष के बिना ही पेश होगा बजट, आज भूपेंद्र सरकार 2.0 कर सकती है बड़े ऐलान

दूसरी बार चुनाव जीतकर गुजरात में सरकार बनाने वाली भूपेंद्र पटेल सरकार आज अपने दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रही है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार अपने बजट में 20 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है. पिछले साल 2.43 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया था, जिसे बढ़ाकर 2.90 लाख करोड़ के करीब किया जा सकता है.

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भूपेंद्र पटेल (File Photo)
भूपेंद्र पटेल (File Photo)

गुजरात में आज विपक्ष के नेता के बिना ही गुजरात सरकार 2.0 का पहला बजट पेश होगा. आज से ही राज्य में बजट सत्र की शुरुआत हो रही है. वित्त मंत्री कनुभाई देसाई इस बजट को पेश करेंगे. इस दौरान वित्त मंत्री सबसे पहले अपना बजट विधानसभा में पढ़ेंगे. बता दें कि पिछले साल 2.43 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया था. लेकिन माना जा रहा है कि इस बार के बजट में 18 से 20% तक की बढ़ोतरी की जा सकती है. बजट को बढ़ाकर 2.90 लाख करोड़ के आसपास किया जा सकता है.

गुजरात विधानसभा के इतिहास में पहली बार बिना विपक्ष विधानसभा का बजट पेश किया जाएगा.  दरअसल राज्य सरकार कांग्रेस को विपक्ष का पद देगी या नहीं यह अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है. विधानसभा के अध्यक्ष शंकर चौधरी ने एक लेटर में कांग्रेस को जवाब देते हुए कहा है कि कांग्रेस के पास विधायकों की जो तादाद है, वह 10% से भी कम है. विधानसभा में कुल 182 विधायक हैं. इस तरह कांग्रेस के पास इस बार 10% से भी कम विधायक हैं. इसलिए उन्हें विपक्ष का पद नहीं दिया जा सकता है.

कांग्रेस नेता अमित चावड़ा का कहना है कि ऐसा कोई भी नियम गुजरात विधानसभा में नहीं है. सत्ता पक्ष के बाद जिस पार्टी के पास सबसे ज्यादा विधायक होते हैं, उसे विपक्ष का पद दिया जाता है. वहीं इस बार विधानसभा में गुजरात सरकार 10 अलग-अलग बिल भी ला रही है, जिसमें आज सरकारी भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के मुद्दे पर सरकार बिल लाएगी. इस बिल में पेपर लीक को लेकर सख्त कानून बनाया जाएगा. पेपर लीक में पकड़े जाने वाले आरोपी के लिए 3 से लेकर 10 साल तक की सजा, के साथ 1 करोड़ तक का जुर्माना रहेगा.

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इसके अलावा 27 फरवरी को गुजरात के प्राथमिक स्कूलों में गुजराती भाषा को अनिवार्य करने वाला बिल लाया जाएगा. इस बिल में गुजरात के 9,800 स्कूल में गुजराती भाषा को अनिवार्य करने का प्रस्ताव है. गुजरात हाईकोर्ट में लगी एक जनहित याचिका के बाद सरकार ने गुजराती भाषा को अनिवार्य करने का आश्वासन दिया है.

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