scorecardresearch
 

एंबुलेंस की सायरन से लोग परेशान, गुजरात सरकार ने नाइट कर्फ्यू के दौरान बजने पर लगाई रोक

गुजरात सरकार का मानना है कि रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू के दौरान रास्तों पर सन्नाटा पसरा रहता है. ऐसे में 108 एंबुलेंस के सायरन से शांत वातावरण में बेचैनी पैदा हो जाती है. इतना ही नहीं सायरन की आवाज सुनने के बाद लोगों की परेशानी बढ़ जाती है.

Advertisement
X
रात में नहीं बजेगा सायरन (सांकेतिक फोटो)
रात में नहीं बजेगा सायरन (सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सूरत और अहमदाबाद में कोरोना का हाहाकार
  • कोरोना मरीजों से फुल चल रहे अस्पताल
  • एंबुलेंस के सायरन से लोगों को हो रही परेशानी

कोरोना संक्रमण के बढ़ते आतंक की वजह से अहमदाबाद की ज्यादातर कोरोना अस्पताल फुल हैं. अहमदाबाद की सड़कों पर एंबुलेंस का सायरन 24 घंटे सुनाई देता है. एंबुलेंस का सायरन नाइट कर्फ्यू के दौरान जब भी बजता है तो लोगों की हृदय की गति बढ़ जाती है. इसलिए अब गुजरात सरकार ने नाइट कर्फ्यू के दौरान एंबुलेंस की सायरन को साइलेंट मोड पर रखने का आदेश दिया है.

गुजरात में कोरोना पर काबू पाने के लिए राज्य के 20 शहरों में नाइट कर्फ्यू लागू है. ऐसे में सरकार ने हिदायत दी है कि अगर नाइट कर्फ्यू के दौरान ट्रैफिक की समस्या का एंबुलेंस के चालक को सामना नहीं करना पड़ रहा है तो सायरन को सायलंट कर दिया जाए. गुजरात में बीते कुछ दिनों से कोरोना के दैनिक मामले हर दिन 7 से 8 हजार दर्ज हो रहे हैं. अहमदाबाद और सूरत की स्थिति हर दिन खराब होती जा रही है.

नाइट कर्फ्यू में सड़कों पर सन्नाटा

सरकार का मानना है कि रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू के दौरान रास्तों पर सन्नाटा छाया रहता है. ऐसे में 108 एंबुलेंस के सायरन से शांत वातावरण में बेचैनी पैदा हो जाती है. इतना ही नहीं सायरन की आवाज सुनने के बाद लोगों की परेशानी बढ़ जाती है. इसलिए गुजरात सरकार ने 108 एंबुलेंस सहित निजी एंबुलेंस को रात में कर्फ्यू के दौरान सायरन नहीं बजाने का आदेश दिया है.

Advertisement

कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के मद्देनजर ज्यादातर अस्पताल फुल हैं. अहमदाबाद के सिविल अस्पताल परिसर में एंबुलेंस की लाइनें लग गई हैं. जिसमें मरीजों का इलाज किया जा रहा है. मरीज बेड खाली होने का इंतजार कर रहे हैं.

अहमदाबाद के सबसे बड़े कोविड अस्पताल में 1200 बेड हाउसफुल हो चुके है. जिससे मरीजों को बाहर ही रखा जा रहा है. इसीलिए अब मरीजों को एंबुलेंस में ही ऑक्सीजन दिया जा रहा है.

 

Advertisement
Advertisement