बिहार में चुनावी हार से निराश बीजेपी अब नए उत्साह के साथ गुजरात में स्थानीय निकायों के चुनाव की तैयारियों जुट गई है. दिल्ली के बाद बिहार में करारी हार से सीख लेते हुए पार्टी अब अपनी नीतियों के साथ प्रयोग कर रही है. इसी के तहत पार्टी ने निकाय चुनावों में अपने अब तक की विचारधारा और तेवर से इतर रिकॉर्ड संख्या में मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, पार्टी ने 8,434 सदस्यीय निकाय चुनावों में 500 से अधिक मुसलमान उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है. इससे पहले 2010 के निकाय चुनाव में यह संख्या 300 थी, जिसमें से 250 महिलाएं थीं. यानी इस बार पार्टी ने अपनी लीक से अलग 40 फीसदी अधिक मुस्लिम प्रत्याशियों को मौका दिया है. पार्टी की ओर से नीति में यह बदलाव ऐसे समय भी किया गया है, जब राज्य में परिसीमन के बाद सांप्रदायिक समीकरण बदले हैं.
कांग्रेस ने उतारे 800 मुसलमान उम्मीदवार
बीजेपी से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने 800 मुसलमान प्रत्याशियों को चुनावी समर में उतारा है. एक वरिष्ठ बीजेपी नेता कहते हैं, 'दिल्ली और बिहार में हारने के बाद अब हम अपने घर में हार बर्दाश्त नहीं कर सकते.' टिकट बंटवारे को लेकर गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष आरसी फलदू कहते हैं, 'पिछली बार हमने न सिर्फ प्रयोग किया, बल्कि इसने दोनों समुदायों के बीच पुल बनाने का भी काम किया. इसलिए हमने निर्णय किया कि हम इस बार अधिक टिकट देंगे.'
बीजेपी के टिकट बंटवारे में खास बात यह भी है कि वेरावल-सोमनाथ से भी बीजेपी ने 10 मुसलमान उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इसे मंदिरों का शहर कहा जाता है और यहीं से लाल कृष्ण आडवाणी ने 1990 में 'अयोध्या के लिए रथ यात्रा' की शरुआत की थी. इसके अलावा पार्टी ने अहमदाबाद में चार, जामनगर में छह, राजकोट में 2 मुसलमान उम्मीदवारों पर भरोसा दिखाया है.