गुजरात में कोरोना के कहर के बाद अब म्यूकोरमाइकोसिस (Black Fungus) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. आलम यह है कि म्यूकोरमाइकोसिस के इलाज में आवश्यक एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की किल्लत होने लगी है. घातक माने जा रहे म्यूकोरमाइकोसिस के चलते मरीजों की जान को खतरा बढ़ता जा रहा है. वहीं एक्स्पर्ट्स मान रहे हैं कि इस रोग का पीक टाईम आना बाकी है. ऐसे में ये बीमारी न केवल डॉक्टर्स के लिए चुनौती है बल्कि सरकारों के लिए भी बड़ी चुनौती बनने जा रही है.
गुजरात में कोरोना का कोहराम अभी थमा भी नही है कि म्यूकोरमाइकोसिस ने अपना व्यापक असर दिखाना शुरू कर दिया है. गुजरात में म्यूकोरमाइकोसिस के मामले बढ़ने के चलते इसके इलाज के लिए जरूरी एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन की मांग काफी बढ़ गई है.
म्यूकोरमाइकोसिस का इलाज करने वाले ENT एक्स्पर्ट्स डॉक्टर सौमित्र की मानें तो ये इंजेक्शन मरीज को 14 से 21 दिन के बीच दिया जा सकता है. यह मरीज की कंडीशन पर डॉक्टर तय करते है. लेकिन, उनके सामने सबसे बड़ी समस्या ये हो रही है कि मरीज के अस्पताल में दाखिल होने के बाद अगर इंजेक्शन नही मिलता है तो उनके ऑपरेशन में देरी होती है.
क्लिक करें- लखनऊ: कोरोना पर जीती जंग, लेकिन ब्लैक फंगस ने ले ली महिला की जान
फिलहाल ये इंजेक्शन ऑर्डर करने पर एक या दो दिन में आ रहे हैं. ऐसे में मरीजों में तेजी से बढ़ने वाला ये संक्रमण बड़ी संख्या में लोगों के लिए घातक बन सकता है.
एक डोज की कीमत 7000 रुपये
आपको बता दें कि बाजार में इस इंजेक्शन के एक डोज की कीमत 7000 रुपये है. एक मरीज को एक दिन में चार से छह डोज लगते हैं. ऐसे में समझा जा सकता है कि यह बीमारी जितनी घातक है उतना ही महंगा इसका इलाज भी है. दरअसल कोरोना से पहले इसके एक या दो मामले ही आते थे. तब इस इंजेक्शन का उपयोग कम होता था.
कोरोना आने के बाद अब हाई डाइबिटीज वाले मरीजों को यह बीमारी हो रही है. मरीजों की संख्या भी हर रोज बढ़ती जा रही है, इसलिए इंजेक्शन की कमी शुरू हो गई है. गुजरात सहित महाराष्ट्र, एमपी, राजस्थान में भी इसके काफी मामले आ रहे हैं. ऐसे में इंजेक्शन की कमी को देखते हुए IMAकी ने केंद्र और राज्य सरकारों से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द ये इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाया जाए.
कोविड पेशेंट के लिए ज्यादा खतरनाक
जानकारों की मानें तो साइनस के कई मरीजों में यह समस्या आती है, लेकिन कोविड पेशेंट के लिए ज्यादा खतरनाक है. खासतौर पर जिन्हें डायबिटीज है या जिनकी इम्युनिटी कमजोर है. कोविड होने के बाद ऐसे मरीजों को डायबिटीज पूरी तरह कंट्रोल करना जरूरी हो जाता है. इसलिए इम्युनिटी बढ़ाना ही बेहतर विकल्प है.
यदि इंफेक्शन होता है तो मेनिनजाइटिस और साइनस में क्लोटिंग का खतरा भी बढ़ जाता है. उधर, डाक्टरों ने एक और बड़ी चेतावनी दी है, जिसमें बताया जा रहा है कि म्यूकोरमाइक्रोसिस के अभी जो मामले आ रहे हैं वो कोरोना काल के पीक टाईम के पहले के हैं. लिहाजा मई के अंत तक और जून महीने में बड़े पैमाने पर म्यूकोरमाइक्रोसिस मरीजों की संख्या बढ़ सकती हैं.
म्यूकोरमाइकोसिस नामक इस बीमारी से बचने का एकमात्र उपचार है, समय पर उपचार होना और उसके लिए सबसे ज़्यादा जरूरी है एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन जिसकी लगातार कमी हो रही है. ऐसे में जरूरी है कि सरकार जल्द से जल्द इंजेक्शन का जत्था उपलब्ध करवाए.