अहमदाबाद में मूल धंधुका के रहने वाले 52 साल के राजू भाई परमार ब्रेन डेड घोषित होने के बाद ऑर्गन डोनर बने हैं. राजू भाई की तीन बहन, दो भांजे और दो भतीजों ने मिलकर अंगदान करने का फैसला किया है. इस अंगदान से तीन मरीजों को नवजीवन और दो लोगों को आंखों की रोशनी मिलेगी. मौत के बाद भी राजू भाई पांच जरूरतमंद लोगों के जीवन दाता बन गए.
दरअसल, राजू भाई परमार को इलाज के लिए अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था. लेकिन 8 अप्रैल को डॉक्टर्स ने राजू भाई के परिवार को बताया कि वें ब्रेन डेड हो चुकें है. इसके बाद ब्रेन डेड राजू भाई की तीन बहने सजन बेन, जासूबेन, गीताबाई, दो भांजे और दो भतीजों ने मिलकर अंगदान करने का फैसला किया. राजू भाई के अंगदान से दो किडनी, लीवर, दो आंख और त्वचा प्राप्त हुई.

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इसमें से किडनी मेडीसिटी कैंपस स्थित किडनी हॉस्पिटल में, कोर्निया आंख की हॉस्पिटल में एडमिट मरीजों में प्रत्यारोपण के लिए भेजा गया. राजू भाई की त्वचा सिविल हॉस्पिटल की स्किन बैंक में दान की गई. गंभीर रूप से जलने वाले मरीज या फिर प्लास्टिक सर्जरी वाले मरीजों में ट्रांसप्लांट की जाएगी. मौत के बाद भी राजू भाई पांच जरूरतमंद लोगों के जीवन दाता बन गए.
'सिविल हॉस्पिटल में अब तक 149 अंगदान से 480 अंग प्राप्त हुए'
अहमदाबाद स्थित सिविल हॉस्पिटल के सुपरिटेंडेंट डॉक्टर राकेश जोशी ने कहा, सिविल हॉस्पिटल में ये 149 वां अंगदान था. इस अंगदान से तीन मरीजों को नवजीवन और दो लोगों को आंखों की रोशनी मिलेगी. इसके अलावा प्राप्त हुई स्किन बुरी तरह से जल चुके मरीज के लिए आशीर्वाद रूप साबित होगा. डॉक्टर राकेश जोशी ने कहा, अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में अब तक 149 अंगदान हुए हैं. अंगदाताओं की तरफ से 480 अंग दान के स्वरूप में प्राप्त हुए हैं. इसके माध्यम से 463 लोगों को जीवनदान और 108 लोगों को दृष्टि लौटाने में सहायता प्राप्त हुई है.