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गाड़ियों से फैल रहा 13% पॉल्यूशन, लेकिन बाकी? जानिए दिवाली से पहले दिल्ली-NCR की हवा कैसे बनी सांसों का संकट

Delhi Pollution: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, आनंद विहार इलाके में AQI 400 अंक को पार कर गया है, जो आज (सुबह 406 दर्ज किया गया, जो 'गंभीर' श्रेणी के अंतर्गत आता है.

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Delhi pollution
Delhi pollution

देश की राजधानी दिल्ली में दिवाली के त्योहार से पहले सांसों पर संकट खड़ा हो गया है. रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स में गिरावट दर्ज की गई है. वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बिगड़ने से आज दिल्ली का औसत एक्यूआई 356 रिकॉर्ड किया गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में है. अब सवाल ये है कि क्यों दिवाली से पहले दिल्ली की हवा बिगड़ती जा रही है तो ये जानना जरूरी है कि आखिर दिल्ली की हवा बिगाड़ने के लिए कौन-कौन से कारक जिम्मेदार हैं और इनकी हिस्सेदारी कितनी है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, आनंद विहार इलाके में AQI 400 अंक को पार कर गया है, जो आज सुबह 406 दर्ज किया गया. जो 'गंभीर' श्रेणी में आत है. इससे पहले शनिवार को यहां का AQI 367 दर्ज किया गया था. वहीं, दिल्ली के जहांगीरपुरी में AQI 420 दर्ज किया गया है. अगले तीन दिनों तक भी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में रहने के आसार हैं.

NCR में भी बिगड़ने लगी हवा

  • ग्रेटर नोएडा- 244
  • गाजियाबाद- 239
  • नोएडा- 260
  • गुरुग्राम- 197
  • फरीदाबाद-217

वाहनों के उत्सर्जन से सबसे ज्यादा प्रदूषण

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, रविवार को दिल्ली में प्रमुख प्रदूषक पीएम10 और पीएम2.5 थे. आंकड़ों के मुताबिक, शाम 5 बजे PM2.5 का स्तर 110.6 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया.

PM2.5: ये सूक्ष्म कण है, जो श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश करने और स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देने में सक्षम है.

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PM10: वह कण है जिसका व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है. हवा में निलंबित ये छोटे ठोस या तरल कण फेफड़ों में गहराई तक जा सकते हैं, जिससे संभावित रूप से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन रोग जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

कैसी है आपके शहर की एयर क्वॉलिटी, यहां कीजिए चेक

वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्र की निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, रविवार को दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन का सबसे बड़ा योगदान था, जो लगभग 13 प्रतिशत था. इसमें अनुमान लगाया गया है कि अगले दो दिनों में दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों से होने वाला प्रदूषण सबसे ज्यादा रहेगा. आंकड़ों की बात करें तो एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में PM2.5 का प्रदूषण, 38% सड़क की धूल से, 20% वाहनों से, 12% घरेलू ईंधन जलाने से और 11% औद्योगिक बिंदु स्रोतों से आया था.

कैसे मापी जाती है एयर क्वालिटी?

अगर किसी क्षेत्र का AQI जीरो से 50 के बीच है तो AQI ‘अच्छा’ माना जाता है, 51 से 100 AQI होने पर ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’माना जाता है, अगर किसी जगह का AQI 201 से 300 के बीच हो तो उस क्षेत्र का AQI ‘खराब’ माना जाता है. अगर AQI 301 से 400 के बीच हो तो ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच AQI होने पर ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है. वायु प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. इसी के आधार पर दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप श्रेणी की पाबंदियां लगाई जाती हैं. आपको बता दें ग्रैप-2 लागू होने के बाद 5 प्रमुख पाबंदियां भी लग गई हैं.

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क्या होता है ग्रैप?

ग्रैप का मतलब GRAP से है. GRAP का फुल फॉर्म ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान है. ये सरकार की एक योजना है, जिसे दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ बनाया गया है. इस प्लान के जरिए प्रदूषण को कंट्रोल किया जाता है. दरअसल, इसके कई चरण हैं और ये चरण भी बढ़ते प्रदूषण के साथ बढ़ते जाते हैं. जैसे जैसे चरण बढ़ते हैं, वैसे वैसे दिल्ली में पाबंदियां भी बढ़ती जाती हैं.

GRAP के 4 चरण होते हैं

  • जब दिल्ली में हवा 201 से 300 एक्यूआई तक खराब होती है तो पहला चरण लागू किया जाता है.
  • इसके बाद अगर हवा ज्यादा खराब होती है और एक्यूआई 301 से 400 तक पहुंच जाता है तो इसका दूसरा चरण लागू हो जाता है.
  • अगर हवा ज्यादा खराब हो जाए यानी एक्यूआई 400 से भी ज्यादा हो जाए तो तीसरा चरण लगता है.
  • हालात ज्यादा खराब होने पर GRAP का चौथा लेवल लागू कर दिया जाता है.

दिल्ली-NCR में ग्रैप-2 के तहत ये पाबंदियां लागू

  • डीजल जनरेटर चलने पर रोक लगेगी.
  • प्राइवेट गाड़ियों के इस्तेमाल को कम करने के लिए पार्किंग फीस को बढ़ाया जाएगा.
  • प्रतिदिन सड़कों पर मैकेनिकल/वैक्यूम स्वीपिंग और पानी का छिड़काव होगा.
  • सीएनजी-इलेक्ट्रिक बसों और मेट्रो की सर्विस को बढ़ाया जाएगा. 
  • RWA अपने सिक्योरिटी गार्ड को हीटर देंगी ताकि वे गर्माहट के लिए कूड़ा, लकड़ी या कोयला न जलाएं. 
  • नैचुरल गैस, बायो गैस, एलपीजी से चलने वाले जेनरेटर चल सकेंगे.
  • 800kwa से अधिक क्षमता वाले जेनरेटर तभी चल सकेंगे जब वह रेट्रोफिटिंग करवाएंगे.
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