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इनका बजट कौन देगा? बच्चों को पढ़ाने वाले मांग रहे फांसी, बेमतलब रहा दिल्ली MCD का एकीकरण

शिक्षक न्याय मंच नगर निगम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, जितेंद्र देशवाल का कहना है कि  "दिल्ली में एकीकृत निगम होने से कोई लाभ नहीं हुआ. एकीकृत निगम होने के बावजूद  सभी 18 हजार शिक्षकों को एक साथ सैलरी नहीं दी गई. ईस्ट दिल्ली एमसीडी के शिक्षकों की अभी भी 3 माह की और नॉर्थ दिल्ली के शिक्षकों की 2 माह की एवं साउथ ईस्ट दिल्ली के शिक्षकों की 2 माह की सैलरी बकाया है.

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दिल्ली में 18 हजार शिक्षक मांग रहे फांसी
दिल्ली में 18 हजार शिक्षक मांग रहे फांसी

दिल्ली नगर निगम क्षेत्रफल के लिहाज से देश का सबसे बड़ा निगम हो लेकिन सैलरी का संकट दूर होने का नाम नही ले रहा है. ईस्ट, साउथ और नॉर्थ दिल्ली नगर निगम 22 मई 2022 को एक करने के पीछे बड़ी वजह एमसीडी के कर्मचारियों की सैलरी संकट दूर करना था लेकिन निगम की किस्मत देखिए- 7 दिसंबर के चुनाव परिणाम के बाद से मेयर नहीं मिला और एकीकरण के 8 महीने बाद भी सैलरी का संकट कायम है. निगम के सातवें दिन भी निगम शिक्षकों का काली पट्टी विरोध जारी है जो बकाया सैलरी की मांग कर रहे हैं. करीब 18 हजार शिक्षक एकीकृत निगम में भी पैसे के मोहताज हैं यही वजह है कि सबने सैलरी ना देने पर फांसी देने की मांग की है. ऐसे में अब निगम के एकीकरण के मकसद पर सवाल उठने लगे हैं.  

शिक्षक न्याय मंच नगर निगम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, जितेंद्र देशवाल का कहना है कि "एकीकृत निगम होने से कोई लाभ नहीं हुआ. एकीकृत निगम होने के बावजूद सभी 18 हजार शिक्षकों को एक साथ सैलरी नहीं दी गई. ईस्ट दिल्ली एमसीडी के शिक्षकों की अभी भी 3 माह की और नॉर्थ दिल्ली के शिक्षकों की 2 माह की और साउथ ईस्ट दिल्ली के शिक्षकों की 2 माह की सैलरी बकाया है. कुल मिलकर एकीकरण का कोई फायदा निगम शिक्षा विभाग को नहीं हुआ है. ट्रांसफर लिस्ट भी अभी तक जारी नहीं की गई है.''

विरोध कर रहे शिक्षक विनय तंवर ने कहा कि ''समय से सैलरी हमारा मौलिक अधिकार है और हमारे लाखों रुपए के एरियर्स निगम पर पहले से बकाया हैं, सातवें पे कमीशन का एरियर, प्रोबेशन पीरियड का एरियर, MACP के एरियर, दिवाली बोनस का एरियर, DA का एरियर और 5 साल का CA का रुपया भी बकाया है. ऐसे में एक-एक शिक्षक के 5 से 7 लाख रूपए बकाया हैं.'' 

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जब हाइकोर्ट ने एंमसी़डी कमिश्नर को तलब किया...  

आपको बता दें कि अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ ने इसके लिए हाइकोर्ट में याचिका लगाई थी. वेतन और पेंशन के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई पर अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ के अधिवक्ता ने न्यायालय में कहा कि जब शिक्षक साल 2020 में अदालत में आये थे तभी से 3 महीने से वेतन/पेंशन नहीं मिला था आज भी वही हालात हैं. दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई 2 फरवरी को होगी. 

फंड की कमी से सैलरी देने से इनकार नहीं कर सकते- HC 

आपको बता दें कि पिछले साल 12 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट के सामने दिल्ली सरकार और एमसीडी के वकीलों ने पेमेंट को जल्दी रिलीज करने की बात कही थी. जनवरी 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सैलरी और पेंशन संविधान के आर्टिकल 21 के तहत अधिकार है. साथ ही चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि सैलरी रिलीज ना होने की स्थिति में पार्षदों को मिलने वाला भत्ता भी रोक दिया जा सकता है. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि सैलरी नहीं देने का कारण फंड की कमी को ठहराना बिल्कुल भी स्वीकार नहीं है. दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार को साफ तौर पर समझना चाहिए कि कारपोरेशन के कर्मचारी भी दिल्ली में वोट करते हैं. तब एमसीडी में बीजेपी का शासन था आज आम आदमी पार्टी बहुमत में है. 

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एकीकरण के हक में थे शिक्षक  

आपको ये भी बता दें कि शिक्षक न्याय मंच नगर निगम निगम एकीकरण की मांग 2018 से करता आ रहा है. इसको लेकर 7 साल में 2 हड़ताल भी हुईं. साल 2016 और 2021 की हड़ताल ने निगम प्रशासन के साथ केंद्र को सोचने पर मजबूर किया कि एक निगम कर दिया जाए, पर निगम को एक करने के साथ उसे आर्थिक पैकेज देना भूल गए. शिक्षक न्याय मंच नगर निगम के संस्थापक अध्यक्ष कुलदीप सिंह खत्री का कहना है कि काली पट्टी विरोध जारी रहेगा. एक धरने का नोटिस दिया जायेगा. एकीकरण के बाद सैलरी, एरियर्स और ट्रांसफर सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है. जिसका हल वर्तमान निगम प्रशासन नहीं निकाल सका है.

 

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