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पंडाल-टेंटों से जुड़े नियमों में हो रही है लापरवाही: विजेंद्र गुप्ता

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने पंडालों या टेंटों में आग लगने की घटनाओं को लेकर केजरीवाल सरकार पर जमकर निशाना साधा है. विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

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विजेंद्र गुप्ता (फोटो- इंडियाटुडे)
विजेंद्र गुप्ता (फोटो- इंडियाटुडे)

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने पंडालों या टेंटों में आग लगने की घटनाओं को लेकर केजरीवाल सरकार पर जमकर निशाना साधा है. विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि पंडाल या टेंट जैसे अस्थाई ढांचे को लेकर बनाए गए नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. टेंटों में दिल्ली सरकार आंख मूंद कर बैठी है. विजेंद्र गुप्ता ने यह आरोप सोमवार को देर रात यहां के नेताजी सुभाष प्लेस में एक शादी के दौरान टेंटों में आग की घटना को लेकर लगाए हैं.

विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि नियमों की पालना सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी, जिनकी लापरवाही के कारण इस तरह की जानलेवा दुर्घटनाएं घटती हैं. उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि साल 1983 में यहां के अशोक विहार में शादी के पंडाल में आग लगने का दर्दनाक हादसा हुआ था जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी.

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विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया है कि दिल्ली में सार्वजनिक और निजी उपयोग के लिए बनाए जाने वाले शामियानों जैसे अस्थाई ढांचों में दिल्ली सरकार के अग्नि शमन विभाग द्वारा बनाए गए निर्देशानुसार पंडालों की उंचाई 3 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए, सिंथेटिक सामग्री का उपयोग नहीं होना चाहिए, इलेक्ट्रिक सब-स्टेशन, भट्टियों और अन्य खतरनाक जगहों से कम से कम 15 मीटर की दूरी, पंडाल के चारों तरफ निकास द्वार, आपातकालीन बिजली सप्लाई व्यवस्था, ज्वलनशील सामग्री की पंडालों से उचित दूरी इत्यादि होनी चाहिए.

सोमवार देर रात नेताजी सुभाष प्लेस में दो टेंटों में लगी आग की गंभीर घटना पर रोष व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा है कि आग लगने की यह घटना चौंका देने वाली हैं. राहत की बात यह रही कि यह घटना रात 12 बजे के बाद घटी जब अधिकतर मेहमान वहां से जा चुके थे. अगर यही घटना रात 12 बजे से पहले घटी होती तो यह एक गंभीर हादसा हो सकती थी. इस दुर्घटना के समय भी 100 से अधिक मेहमान और लगभग इतने ही कामगार दुर्घटना स्थल पर मौजूद थे.

गौरतलब है कि एक महीने पहले ही करोल बाग के एक होटल में गंभीर आग की दुर्घटना में 17 से अधिक लोग मारे गए थे. शुरुआती जांच में पाया गया था कि यह होटल नियमों को ताक पर रखकर चलाया जा रहा था. इस घटना के बाद यह भी सामने आया था कि इस इलाके में स्थित अधिकतर अन्य होटल भी निर्धारित नियम और कायदों का पालन नहीं कर रहे थे. 

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