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'यदि पेड़ नहीं लगाए तो बंद कर देंगे प्रोजेक्ट', SC ने पेड़ न लगाने पर अधिकारियों को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा-आगरा में पर्यावरण पर प्रदूषण के बढ़ते खतरे के मद्देनजर दाखिल जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए प्राधिकरणों को प्रोजेक्ट रद्द करने की चेतावनी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पेड़ नहीं लगाए गए तो प्रोजेक्टों पर रोक लगा दी जाएगी या फिर उन्हें रद्द कर दिया जाएगा. साथ ही क्षतिपूर्ति वनरोपण सुनिश्चित करने में विफल रहने पर लापरवाह और जिम्मेदार अधिकारियों पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा.

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सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा-आगरा में पर्यावरण पर प्रदूषण के बढ़ते खतरे के मद्देनजर दाखिल जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्राधिकरणों को सख्त चेतावनी दी है और कहा कि अगर पेड़ नहीं लगाए गए तो प्रोजेक्टों पर रोक लगा दी जाएगी.

जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीहा की बेंच ने मथुरा पीडब्ल्यूडी से सवाल करते हुए कहा कि आपने चार परियोजनाओं की अनुमति दी थी. इन प्रोजेक्टों से पर्यावरण पर पड़े प्रभाव की भरपाई के लिए आपको तीस हजार पेड़ लगाने थे तो आपने कितने पेड़ लगाए हैं?

अब तक लगाए गए 18,500 पेड़

अदालत के सवाल पर पीडब्ल्यूडी मथुरा के वकील ने कहा कि अब तक हमने 18,500 पेड़ लगाए हैं. चेन फेंसिंग का काम चल रहा है.  इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी मथुरा के कई परियोजनाओं के लिए पेड़ काटने की अनुमति पर रोक लगा दी. और कहा कि तय संख्या से करीब आधे पेड़ भी नहीं लगाए गए हैं.

वहीं, ताज ट्रैपेजियम जोन के लिए साल 2021 में पेड़ काटने की मंजूरी दी गई थी. पेड़ों की कटाई के मुआवजे के रूप में पेड़ न लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है. कोर्ट के निर्देश पर एनएचएआई आगरा, पीडब्ल्यूडी मथुरा, यूपी जल निगम, यूपी रेलवे निगम, यूपी एक्सप्रेस-वे, जेपी इंफ्राटेक, यूपी मेट्रो रेल कॉरपोरेशन सहित 16 प्राधिकरणों के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी.

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'नहीं लगाए पेड़ तो बंद कर देंगे प्रोजेक्ट'

सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पेड़ नहीं लगाए गए तो प्रोजेक्टों पर रोक लगा दी जाएगी या फिर उन्हें रद्द कर दिया जाएगा. साथ ही क्षतिपूर्ति वनरोपण सुनिश्चित करने में विफल रहने पर लापरवाह और जिम्मेदार अधिकारियों पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा.

एमाइकस क्योरे ने कहा कि कोर्ट को दिए गए आश्वासन के उलट राज्य प्राधिकारियों ने 60 उद्योगों को विस्तार की अनुमति दे दी है. केंद्र सरकार ने उन संस्थाओं के नाम सूचित किए हैं, जिन्हें अनुमति दी गई थी. जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि क्या उन्होंने इस अदालत द्वारा पारित आदेश के बाद अनुमति दी है?

एमाइकस ने कहा कि उद्योगों को नोटिस जारी करना होगा. साथ ही जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों पर भी कार्रवाई करनी होगी. ये पता तो चले कि अनुमति क्यों, कब और कैसे दी गई!

याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि उद्योग का विस्तार पिछले 20 वर्षों में हुआ है. सन 2005 से ये विस्तारीकरण शुरू हुआ. सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में स्वीकार किया है कि विस्तार की अनुमति दी गई है. ASG ने कहा कि हमारा रुख यह है कि कुछ समयावधि को छोड़कर उद्योग विस्तार पर कोई प्रतिबंध नहीं था.

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'अधिकारियों को रहना होगा उपस्थित'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम राज्य सरकार को 60 औद्योगिक यूनिटों को नोटिस जारी करने का निर्देश देते हैं और अगली सुनवाई के दौरान अधिकारियों को कोर्ट में निजी तौर पर उपस्थित रहने का भी निर्देश दिया है. इस दौरान क्षेत्र में किसी भी नए उद्योग को अनुमति नहीं दी जाएगी.

कोर्ट ने साफ कहा कि हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि अगले आदेश तक टीटीजेड प्राधिकरण इस न्यायालय की अनुमति के बिना उद्योग स्थापित करने या उद्योगों के विस्तार की अनुमति नहीं देगा.

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