हैदराबाद में आत्महत्या करने वाले रोहित वेमुला और देशद्रोह के आरोप में फंसे जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को न्याय दिलाने के लिए मंगलवार को कई छात्र संगठनों ने एकता मार्च निकाला. छात्रों के इस मार्च को राजनीतिक सपोर्ट मिला तो इसकी रंगत कुछ और हो गई. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी जंतर-मंतर पहुंचे और इस मार्च में शामिल हुए. राहुल ने जंतर-मंतर पर कहा कि छात्रों की आवाज दबाई जा रही है. आरएसएस और बीजेपी चाहती है कि देश में एक ही सोच हो.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ भाषण दे रही है, अपनी नाकामियों पर कोई बात नहीं करना चाहती न सुनना चाहती. उन्होंने कहा, 'अगर आप बीजेपी और आरएसएस की बातों से सहमत नहीं होते तो वो आपको मार डालेंगे. जैसा रोहित वेमुला के साथ हुआ.'
'हमें ऐसा देश चाहिए जिसमें बोलने की आजादी हो'
राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें ऐसा देश नहीं चाहिए जिसमें कोई विचारधारा जबरन थोपी जाए. हमें लोगों को स्वतंत्र बोलने देना चाहिए. उन्होंने कहा, हम ऐसा सिस्टम चाहते हैं जिसमें किसी की आवाज दबाई न जाए.
उधर, कश्मीर में भी जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष के समर्थन में नारे लगे. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए.
"Tum kitne Kanhaiya pakdoge, har ghar se Kanhaiya nikalega" & "Hum chahate azaadi" slogans raised at Kashmir Uni pic.twitter.com/w4ue7sP7lw
— ANI (@ANI_news) February 23, 2016
इस मार्च में एनएसयूआई, वामदलों से जुड़े छात्र संगठन और आम आदमी पार्टी की स्टूडेंट विंग से जुड़े छात्र हिस्सा ले रहे हैं. जेएनयू में शुरू हुए बवाल के बीच पहली बार बड़ी संख्या में छात्र मार्च के दौरान तिरंगा लहराते हुए देखे गए. मार्च में शामिल छात्र 'बीजेपी और मोदी सरकार मुर्दाबाद' के नारे लग रहे हैं. आम आदमी पार्टी के नेता पहले ही जंतर मंतर पहुंच चुके हैं.
मार्च में डॉ. भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर और रोहित वेमुला के परिवार के लोग भी शामिल हैं. प्रकाश अंबेडकर ने कहा, 'हम कन्हैया और रोहित वेमुला दोनों को न्याय दिलाने के लिए हम मार्च निकाल रहे हैं. हम चाहते हैं कि रोहित को न्याय मिले. उनकी मां को धमकाया गया है. उनका बयान दोबारा दर्ज होना चाहिए.'
परिवार ने कहा स्मृति पर कार्रवाई हो
रोहित वेमुला की मां और भाई ने कहा कि हमें न्याय मिलना चाहिए. हम रोहित को न्याय दिलाने के लिए आए हैं. स्मृति ईरानी और वीसी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
मार्च के दौरान युवाओं के हाथों में पंफलेट भी दिखीं, जिनमें यह लिखा था-
- आंदोलनों की अगुवाई करने वाले या पीड़ित, ज्यादातर छात्र गरीब और मध्यम वर्ग से आते हैं, जिनका लगातार शोषण किया गया है.
- सत्ता वर्ग आंदोलनों को कुचलने की कोशिश कर रहा है.
- विश्वविद्यालय परिसरों को पुलिस कैंपों में तब्दील किया जा रहा है.
- बीजेपी सत्ता का दुरुपयोग कर रही है और सांप्रदायिक ताकतों को बढ़ावा दे रही है.
- कैंपस में पढ़ाई का माहौल बिगाड़ा जा रहा है.
- बीजेपी की स्टूडेंट विंग की शिकायत पर विश्वविद्यालय प्रशासन को कार्रवाई के लिए मजबूर किया जा रहा है.
- हैदराबाद और जेएनयू में जो हुआ उसके लिए एबीवीपी जिम्मेदार है.