शाहीन बाग में लंबे समय तक चले विरोध-प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सार्वजनिक स्थलों पर विरोध करने का अधिकार पूर्ण नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस तरह के विरोध प्रदर्शनों के लिए सार्वजनिक स्थलों पर अनिश्चितकाल तक कब्जा नहीं किया जा सकता. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रदर्शन निर्धारित स्थलों पर ही होना चाहिए. शाहीन बाग से लोगों को हटाने के लिए पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अब एक्टिविस्ट्स ने रिव्यू पिटीशन दायर की है. सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई रिव्यू पिटीशन में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि कोर्ट का यह निर्णय पुलिस को बगैर किसी प्रतिबंध के शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर कार्रवाई के निर्णय का अधिकार देता है. इससे प्रदर्शनकारियों से बात कर समस्या सुलझाने की बजाय प्रशासन गलत उपयोग करेगा.
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याचिकाकर्ता ने कहा है कि लोकतंत्र में लोगों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन विरोध जताने का एकमात्र तरीका है. यह निर्णय प्रोटेस्ट के अधिकार का उल्लंघन करता है. समाज के कमजोर तबके से आने वाले लोगों को विरोध करने के अधिकार से वंचित किया जाएगा. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि विरोध-प्रदर्शन के लिए किसी विशेष क्षेत्र को चिह्नित नहीं किया गया है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि शाहीन बाग जैसे सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा स्वीकार्य नहीं है. प्रदर्शन निर्धारित जगह पर होना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा था कि दिल्ली पुलिस को लोगों को हटाने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए थी. प्राधिकारियों को खुद ही कार्रवाई करनी होगी, अदालतों के पीछे नहीं छिप सकते.