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मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग पर SC का केंद्र को नोटिस, फरवरी में सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ के दोनों जजों ने 11 मई को मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने को लेकर अलग-अलग राय दी थी, जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा जाए या नहीं. भारतीय कानून में मैरिटल रेप कानूनी अपराध नहीं है. हालांकि, इसे अपराध घोषित करने की मांग को लेकर कई संगठनों की ओर से लंबे समय से मांग की जा रही है.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

मैरिटल रेप यानी विवाहित जोड़े के बीच जबरन संबंध बनाने को लेकर उठे मसले पर दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ के अलग-अलग फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.अब इस मामले पर अगली सुनवाई पांच महीने बाद फरवरी 2023 मे होगी.

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने को लेकर पीठ के दोनों जजों की राय अलग-अलग थी. दरअसल 11 मई को दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जजों ने अलग-अलग फैसला दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा जाए या नहीं.

भारतीय कानून में मैरिटल रेप कानूनी अपराध नहीं है. हालांकि, इसे अपराध घोषित करने की मांग को लेकर कई संगठनों की ओर से लंबे समय से मांग की जा रही है.

याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म को अपवाद माने जाने को लेकर संवैधानिक तौर पर चुनौती दी थी.

दिल्ली हाईकोर्ट के जज इस मुद्दे पर एकमत नहीं थे इसलिए कोर्ट ने इस मामले को तीन जजों की पीठ के सामने भेजने का फैसला किया था.

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दरअसल, खंडपीठ में एक जज राजीव शकधर ने वैवाहिक बलात्कार अपवाद को रद्द करने का समर्थन किया था. वहीं, जस्टिस सी हरि शंकर ने कहा था कि आईपीसी के तहत अपवाद असंवैधानिक नहीं है और एक समझदार अंतर पर आधारित है.

केरल हाईकोर्ट ने मैरिटल रेप को अपराध मानने से किया था इनकार

पिछले साल अगस्त में केरल हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि भारत में मैरिटल रेप के लिए सजा का प्रावधान नहीं है, लेकिन इसके बावजूद ये तलाक का आधार हो सकता है. हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने भी मैरिटल रेप को अपराध मानने से इनकार कर दिया. 

क्या है मैरिटल रेप?

मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार भारत में अपराध नहीं है. अगर कोई पति अपनी पत्नी से उसकी सहमति के बगैर संबंध बनाता है तो ये मैरिटल रेप कहा जाता है लेकिन इसके लिए कोई सजा का प्रावधान नहीं है. 2017 में मैरिटल रेप को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था, 'मैरिटल रेप को अपराध करार नहीं दिया जा सकता है और अगर ऐसा होता है तो इससे शादी जैसी पवित्र संस्था अस्थिर हो जाएगी.' ये तर्क भी दिया गया कि ये पतियों को सताने के लिए आसान हथियार हो सकता है.

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