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नई दिल्ली: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से समीर वानखेड़े को बड़ी राहत, ये था मामला

नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से बड़ी राहत मिली है. आयोग ने माना है कि वानखेड़े अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं. दरअसल, महाराष्ट्र एनसीपी के सीनियर नेता नवाब मलिक ने उनके खिलाफ आरोप लगाया था कि वानखेड़े मुस्लिम थे, वे अनुसूचित जाति महार समुदाय के नहीं थे.

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समीर वानखेड़. -फाइल फोटो
समीर वानखेड़. -फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आयोग ने कहा- जबरन वसूली मामले में बनाई गई एसआईटी को भंग करने की जरूरत
  • पूछताछ के नाम पर याचिकाकर्ता को पुलिस परेशान नहीं करेगी: आयोग

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े को बड़ी राहत दी है. शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए आयोग ने माना है कि वानखेड़े अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं. बता दें कि महाराष्ट्र कैबिनेट के मंत्री नवाब मलिक ने वानखेड़ के खिलाफ आरोप लगाया था कि समीर वानखेड़े मुस्लिम थे, वे अनुसूचित जाति महार समुदाय के नहीं थे. उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए यूपीएससी की परीक्षा पास की थी. 

मामले की सुनवाई के दौरान आजतक की टीम मौजूद रही. आयोग ने सिफारिश की है कि जबरन वसूली मामले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी को भंग करने की जरूरत है, क्यों कि एससी-एसटी अधिनियम के तहत प्राथमिकी से पहले एसआईटी का कोई प्रावधान नहीं है. साथ ही आयोग ने कहा है कि एससी-एसटी पीओए अधिनियम, 1989 के तहत याचिकाकर्ता को टारगेट करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने की जरूरत है. 

आयोग ने ये भी कहा है कि पूछताछ के नाम पर याचिकाकर्ता को पुलिस परेशान नहीं करेगी. साथ ही मामले की रिपोर्ट 7 दिनों के भीतर आयोग को प्राथमिकी की प्रति के साथ पेश करने की बात कही गई है.

महाराष्ट्र राज्य जांच समिति जाति सत्यापन के मामले में तेजी ला सकती है और एक महीने में आयोग को रिपोर्ट सौंप सकती है. महाराष्ट्र के डीजीपी, सीएस, प्रमुख सचिव गृह, पुलिस आयुक्त को 7 मार्च को आयोग के समक्ष उपस्थित रहने को कहा गया है.

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