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पवित्रा केसः यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रिंसिपल निलंबित

दिल्ली यूनिवर्सिटी के भीम राव अंबेडकर कॉलेज के प्रिंसिपल को उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पूर्व कर्मचारी के आत्मदाह की न्यायिक जांच पूरी होने तक के लिए निलंबित कर दिया गया.

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दिल्ली यूनिवर्सिटी के भीम राव अंबेडकर कॉलेज के प्रिंसिपल को उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पूर्व कर्मचारी के आत्मदाह की न्यायिक जांच पूरी होने तक के लिए निलंबित कर दिया गया.

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति दिनेश सिंह ने कॉलेज के संचालक मंडल की सिफारिश पर प्राचार्य जी के अरोड़ा को निलंबित कर दिया.

गौरतलब है कि 30 सितंबर को पवित्रा ने मुख्यमंत्री के दफ्तर के बाहर आग लगाकर खुदकुशी करने की कोशिश की थी. जिसके बाद सात अक्टूबर को पवित्रा की लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में मौत हो गई थी.

पवित्रा को इंसाफ दिलाने के लिए सामने आई 'AAP'
आम आदमी पार्टी ने भी डूसू, डूटा और डूकू जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर पवित्रा को इंसाफ दिलाने के लिए प्रदर्शन किया. आम आदमी पार्टी और डीयू के छात्र और शिक्षक संगठनों ने गुरुवार को आईटीओ के भगत सिंह पार्क में एकत्रित होकर विरोध मार्च निकाला. सभी पुलिस मुख्‍यालय के आगे धरना देने वाले थे, लेकिन प्रदर्शनकारियों को बीच में ही रोक दिया गया था. हालांकि प्रदर्शनकारियों में से केवल चार लोगों को कमिश्नर ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बुलाया था. ये सभी अंबेडकर कॉलेज के आरोपी प्रिंसिपल की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे. अरविंद केजरीवाल ने इस पूरे मामले में शीला दीक्षित पर भी कई सवाल खड़े किए.

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क्या है पूरा मामला?
पवित्रा ने कॉलेज के प्रिंसिपल पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. उसने आरोप लगाया था कि जब प्रिंसिपल के खिलाफ उसने आवाज उठाने की कोशिश की तो उसकी नौकरी चली गई.

मामला कॉलेज की एपेक्स कमेटी के पास भी पहुंचा था लेकिन सूत्रों की मानें तो कमेटी ने रिपोर्ट नहीं दी. बाद में उस महिला ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और उपराज्यपाल का दरवाजा खटखटाया. महिला का आरोप था कि वो पिछले तीन सालों से लगातार इंसाफ के लिए इधर से उधर चक्कर लगाती रही.

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