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दिल्ली में जुटे पसमांदा मुस्लिम, मुख्यधारा से जुड़ने के लिए पीएम मोदी पर जताया भरोसा

मुस्लिम सियासत एक अलग करवट ले रही है. मुसलमानों का पसमांदा समाज अब सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बराबरी को लेकर चिंतित है, जिसे लेकर दिल्ली में पसमांदा समाज के जुड़े हुए लोगों की एक बैठक हुई. इस दौरान पसमांदा मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के साथ-साथ मुख्यधारा में जुडने के लिए पीएम मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जताया गया.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पसमांदा मुस्लिम सियासत तेज होती जा रही है
  • बीजेपी की नजर भी पसमांदा वोट बैंक पर लगी है

मुस्लिम में पसमांदा सियासत तेज होती जा रही है और बीजेपी की नजर भी मुसलमानों के इसी वोट बैंक पर है. ऐसे में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और बीजेपी नेता आतिफ रशीद के अगुवाई में शुक्रवार को दिल्ली में पसमांदा मुस्लिम समाज की एक बैठक हुई. इस दौरान पसमांदा मुसलमानों के शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और आर्थिक बराबरी जैसे अहम मुद्दों पर पिछड़ेपन के लिए चिंता जाहिर की गई. 

बैठक के दौरान इस बात को लेकर चिंता जताया गया कि चुनाव के दौरान ही पसमांदा संगठन सक्रिय होते हैं और सिर्फ सियासत में हिस्सेदारी की बात करते हैं, जिससे पसमांदा मुसलमानों के मूल मुद्दे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और आर्थिक बराबरी जैसे अहम  मुद्दे पीछे छूट जाते है. ऐसे में पसमांदा मुस्लिम समाज तथाकथित सेक्युलर दलों का सिर्फ वोट बैंक बनकर रह जाते है. 

आतिफ रशीद ने पसमांदा मुस्लिम समाज के सामने एक सुझाव रखा कि क्यों ना हम सब पिछड़े मुस्लिम और पिछड़ों में भी अति पिछड़े मुस्लिम अभी शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में काम करें. उन्होंने सुझाव दिया कि विकास की दौड़ में हम पिछड़ते रहे हैं. ऐसे में पसमांदा समाज को भारत की सत्ताधारी पार्टी भाजपा के साथ दूरी बनाकर चलने की जरूरत नहीं है, बल्कि जुड़कर काम करने की जरूरत है. देश के अधिकतर राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक में भाजपा की सरकार है, जबकि बिहार में भाजपा के सहयोगी दल की सरकार है. ऐसे में इन सरकारों के माध्यम से पसमांदा मुस्लिम समाज के मुद्दों को हल किया जा सकता है.

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पसमांदा मुस्लिम बैठक

 

पसमांदा मुस्लिम समाज सियासी इस्तेमाल होने का सवाल करते हुए आतिफ रशीद ने कहा कि आखिर पसमांदा मुस्लिम समाज कब तक राजनीति का शिकार होता रहेगा. ऐसे में हम (पसमांदा मुस्लिम समाज) कुछ लोगों को विधायक और सांसद बनाने के लिए अपने वोट का इस्तेमाल करें या अपने बच्चों के शिक्षा और रोज़गार के लिए वोट करें? यह पसमांदा मुस्लिम समाज को तय करना होगा. 

आतिफ रशीद ने कहा कि अब हम लोग आने वाले दिनों में पसमांदा मुस्लिम समाज के प्रमुख लोगों की देश भर में बैठक करेंगे. उनसे मिलकर समाज का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार किया जाएगा, जिसके तहत केंद्र सरकार और राज्य सरकार से सहयोग लेकर अति पसमांदा मुस्लिम समाज के घर-घर को जोड़कर उन्हें भी राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया जाएगा. इसके लिए पसमांदा मुस्लिमों की अलग-अलग जातियों के साथ भी बैठक कर सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने का रोडमैप तैयार किया गया. 

पसमांदा मुसलमानों के मुद्दों को लेकर दिल्ली में पसमांदा मुस्लिम अधिकार सम्मेलन करने का प्लान बनाया है. इस सम्मेलन में केंद्र सरकार से पसमांदा समाज के लिए शिक्षा और रोज़गार की सीधी मांग की जाएगी, साथ ही बदले में पसमांदा समाज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व के साथ चलेगा. बैठक में शामिल होने आए पसमांदा मुस्लिम समाज के लोगों ने एक सुर में कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ओबीसी समाज से आते हैं. इसलिए वह और ज़्यादा बेहतर तरीके से पसमांदा समाज के दर्द को समझ सकते हैं. 

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