दिल्ली में राष्ट्रपति शासन पर आम आदमी पार्टी की ओर से दायर याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में बाहरी समर्थन से अल्पमत की सरकार संभव है. अदालत ने 12 दिन का समय देते हुए कहा कि उपराज्यपाल सरकार गठन की सभी संभावनाओं को तलाशें.
कोर्ट ने सरकार गठन पर उपराज्यपाल के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सभी पार्टियों को मशविरे के लिए आमंत्रित करने की पहल एक सकारात्मक कदम है. इससे सभी पार्टियों को एक मौका मिलेगा. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में सरकार के लिए एक निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है और अल्पमत की सरकार बन सकती है. इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि पहले भी देश में अल्पमत की सरकारें बनी हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर उपराज्यपाल को लगता है कि दिल्ली में सरकार नहीं बन सकती, तो वे राष्ट्रपति को इस बारे में सूचित कर सकते हैं.
इसके बाद देश की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 11 नवंबर की तारीख मुकर्रर कर दी.
अदालत के फैसले के बाद प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी की ओर से कोर्ट में पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर उपराज्यपाल सभी पार्टियों को बुलाते हैं तो कोई समस्या नहीं है. लेकिन यह निर्धारित समय के अंदर होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यदि उपराज्यपाल को लगता है कि सरकार गठन की संभावना नहीं बनती है, तो वे राष्ट्रपति से सलाह ले सकते हैं.