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हाईकोर्ट ने दिल्ली चुनाव आयोग से पूछा, MCD Election में EVM के साथ VVPAT का इस्तेमाल क्यों नहीं ?

आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने हाईकोर्ट में कहा है कि वीवीपैट के जरिए ईवीएम में डाले गए वोट के वेरिफिकेशन अनिवार्य करने को राष्ट्रीय राजधानी में भी पालन होना चाहिए. बिना वीवीपैट के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल तो घोषणापत्र की भावना के खिलाफ और संविधान की ओर से दी गई शक्ति का दुरुपयोग है.

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Delhi High Court
Delhi High Court
स्टोरी हाइलाइट्स
  • विधायक सौरभ भारद्वाज ने हाईकोर्ट में दी अर्जी
  • EVM के साथ वीवीपैट का इस्तेमाल क्यों नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर दिल्ली के स्थानीय निकाय के चुनाव में मतदान के लिए ईवीएम के साथ वीवीपीएटी का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहा? 

दिल्ली विधान सभा में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने ये अर्जी लगाई है. उन्होंने इसमें कहा है कि वीवीपैट के जरिए ईवीएम में डाले गए वोट के वेरीफिकेशन को अनिवार्य किए जाने से राष्ट्रीय राजधानी में भी उसका पालन होना चाहिए. मतदान के लिए बिना वीवीपैट के ईवीएम का इस्तेमाल करना तो घोषणापत्र की भावना के खिलाफ और संविधान की ओर से प्रदत्त शक्ति का दुरुपयोग है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट राहुल मेहरा ने दलील दी कि जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं उनसे ईवीएम और वीवीपैट मशीनें दिल्ली नगर निगम चुनाव के लिए ली जा सकती हैं. वहां तो जिन बूथ या चुनाव क्षेत्र के चुनाव को इलेक्शन पेटिशन के जरिए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी उनकी ही ईवीएम और वीवीपीएटी को सुरक्षित रखा जाएगा. बाकी को एक निश्चित अवधि के बाद फिर से इस्तेमाल में लाया जा सकता है !  इस मामले में याचिकाकर्ता पोल वॉच डॉग ने एक चिट्ठी के हवाले से बताया कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों को फिर से एक करने की कवायद की जा रही है. इसीलिए दिल्ली नगर निगम चुनाव टाले गए हैं.
 

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कैसे काम करती है वीवीपैट ?

जब हम चुनाव में ईवीएम में बटन दबाकर किसी कैंडिडेट के लिए वोट करते हैं तो वीवीपैट से एक पर्ची निकलती है. वीवीपैट से निकले इस पर्ची पर उम्मीदवार का नाम और उसका चुनाव चिह्न होता है. इससे यह पता चलता है कि आपका वोट किस कैंडिडेट को गया है.  एक वोटर  7 सेकेंड तक इस पर्ची को देख सकता हैं. फिर यह सीलबंद बॉक्स में गिर जाती है. वीवीपैट की इस पर्ची को  सिर्फ पोलिंग अधिकारी ही देख सकता हैं. चुनाव की मतगणना के समय कोई विवाद होने पर इन पर्चियों की भी गणना की जा सकती है.

 

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