दिल्ली की सीएजी रिपोर्ट में राशन को लेकर बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. रिपोर्ट सामने आते ही आम आदमी पार्टी सरकार सवालों से घिर गई है. सूत्रों की मानें तो CAG रिपोर्ट में अब तक 50 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं जहां नियमों को ताक पर रखकर गड़बड़ी को अंजाम दिया गया.
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली सरकार सीएजी रिपोर्ट का अध्ययन कर रही है. रिपोर्ट के आधार पर केजरीवाल सरकार सीबीआई की जांच करवाएगी. मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर दावा किया है कि CAG द्वारा रिपोर्ट में शामिल की गई गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार के मामले में किसी को नहीं बख्शा जाएगा.
सीएम ने CAG रिपोर्ट के बहाने एलजी पर भी अपने ट्वीट से जमकर निशाना साधा. केजरीवाल ने कहा कि पूरा राशन सिस्टम माफियाओं की जद में है, जिन्हें नेताओं का संरक्षण मिला हुआ है.Exemplary action will be taken against the guilty in each case of corruption or irregularity pointed by CAG. No one will be spared.
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 3, 2018
जानिए, राशन की गड़बड़ी पर CAG का खुलासा...Extract from CAG report. This is what LG trying to protect when he rejects Doorstep delivery of rations. Entire ration system in grip of mafia protected by political masters. Doorstep delivery wud hv destroyed this mafia. pic.twitter.com/ZytNFgc0XF
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 3, 2018
> आम तौर पर राशन कार्ड घर की महिला सदस्यों के नाम पर बनाया जाता है, लेकिन 13 मामलों में घर की सबसे बड़ी सदस्य की उम्र 18 साल से नीचे की पाई गई. 12,852 मामलों में तो घरों में एक भी महिला सदस्य नहीं पाई गई.
> राशन का सामान ढोने वाले 207 गाड़ियों में 42 गाड़ियां ऐसी थीं जिनका रजिस्ट्रेशन परिवहन विभाग के पास था ही नहीं.
> 8 गाड़ियां ऐसी थीं जिन्होंने 1500 क्विंटल से ज्यादा राशन ढुलाई की, लेकिन उनके रजिस्ट्रेशन नंबर बस, टू व्हीलर या थ्री व्हीलर के पाए गए.
> सभी राशन कार्ड धारकों को एसएमएस पर अलर्ट आने थे, लेकिन 2453 मामलों में नंबर राशन दुकानदारों के ही निकले.
> राशन से जुड़ी समस्याओं को लेकर जो कॉल सेंटर बनाया गया, उनमें से 2013 से 2017 के बीच आए तकरीबन 16 लाख कॉल में सिर्फ 42 फीसदी कॉल का जवाब दिया गया.
> सभी अधिकारियों को फील्ड इंस्पेक्शन करना था, लेकिन ऑडिट में ऐसे इंस्पेक्शन नहीं पाए गए.
> 412 राशन कार्ड ऐसे पाए गए जिनमें परिवार के एक सदस्य का नाम ही कई बार लिखा गया था.
> राशन सिर्फ उन परिवारों को दिया जाता है जो गरीब हों, लेकिन 1 हजार से ज़्यादा कार्ड में नौकरों का नाम भी शामिल था. यानि ऐसे उपभोक्ता भी हैं जो नौकर रख सकते हैं लेकिन अपनी कार या प्रॉपर्टी नहीं है और ना ही वो इनकम टैक्स देते हैं और न ही उनके पास 2 किलो वाट से ज्यादा का बिजली कनेक्शन है.