अरविंद केजरीवाल सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले से ही कथित शराब घोटाला केस में आम आदमी पार्टी के बड़े फंस हुए हैं. इस केस में जांच की आंच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक पहुंच गई है. ईडी उन्हें पूछताछ के लिए 3 समन जारी कर चुकी है, लेकिन वह तीनों बार एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए हैं. उनके सिर पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया 10 महीने से जेल में हैं.
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी शराब घोटाला केस में ही जेल में बंद हैं और जमानत नहीं मिल रही है. पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन भी मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में आरोपों का सामना कर रहे हैं और करीब एक साल तक जेल में बंद रहने के बाद स्वास्थ्य कारणों के आधार पर जमानत पर चल रहे हैं. दिल्ली के अस्पतालों में नकली दवाओं की आपूर्ति और वन विभाग मामले में भी सीबीआई जांच की सिफारिश हो चुकी है. अब नया मामला मोहल्ला क्लीनिकों में फर्जी स्वास्थ्य जांच का सामने आया है, जिसमें एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है.
मोहल्ला क्लीनिक की जांच AAP की बनेगी नई मुश्किल?
दिल्ली शराब घोटाला केस में पहले ही AAP नेताओं के साथ पार्टी की छवि प्रभावित हुई है. जैसे-जैसे मोहल्ला क्लीनिक फर्जी टेस्ट मामले की सीबीआई जांच आगे बढ़ेगी, इसके नतीजों का केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी की प्रतिष्ठा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है. अरविंद केजरीवाल जहां भी अपनी पार्टी का प्रचार करने जाते हैं, वह दिल्ली के सरकारी स्कूलों, अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिक का उदाहरण देकर शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी सरकार के कार्यों की तारीफ करते हैं. इसे आम आदमी पार्टी की यूएसपी के रूप में पेश करते हैं. दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में नकली दवाओं की आपूर्ति और मोहल्ला क्लीनिकों में फर्जी टेस्ट मामले में सीबीआई जांच से केजरीवाल और उनकी सरकार की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. वहीं, विरोधी दलों को दिल्ली के मुख्यमंत्री के दावों पर पलटवार करने का मुद्दा भी मिलेगा.
केजरीवाल सरकार के खिलाफ चार मामलों में सीबीआई जांच
शराब घोटाला, वन विभाग, नकली दवा आपूर्ति और मोहल्ला क्लीनिक के साथ केजरीवाल सरकार के खिलाफ कुल चार मामलों में सीबीआई जांच हो रही है. एलजी ने सीबीआई को लिखे अपने सिफारिशी खत में लिखा है कि मोहल्ला क्लीनिकों में नकली लैब टेस्ट हो रहे हैं. इसके लिए नकली या जो मोबाइल नंबर मौजूद ही नहीं हैं उन्हें दर्ज करा कर मरीजों की एंट्री दिखाई जा रही है. विजिलेंस की जांच में पता चला है कि मोहल्ला क्लीनिकों में डॉक्टर नहीं आते और पहले से रिकॉर्डेड वीडियो के द्वारा अटेंडेंस लगा देते हैं.
डॉक्टरों की अनुपस्थिति में मोहल्ला क्लीनिकों का स्टाफ मरीजों को दवाएं दे रहा है, उनका टेस्ट कर रहा है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर और मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था. एफआईआर की भी सिफारिश की गई है. लैब टेस्ट के नाम पर भी फर्जीवाड़े के मामले जांच में सामने आए हैं. मोहल्ला क्लीनिकों में फर्जी रेडियोलॉजी और पैथोलॉजी टेस्ट कराकर प्राइवेट लैब्स को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा है. रिकॉर्ड में दर्ज मरीजों के फोन नंबर गलत मिले हैं. ऐसे मरीजों की भी जांच कर दी गई, जो वास्तव में थे ही नहीं.
भाजपा का केजरीवाल सरकार पर एक और घोटाले का आरोप
बीजेपी ने केजरीवाल सरकार पर एक और घोटाले का आरोप लगाया है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, 'आम आदमी पार्टी के मोहल्ला क्लीनिक में एक दिन में 500 पेशेंट देखे गए. समय था 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक यानी 4 घंटे. इतने कम समय में आदमी मंदिर में दर्शन नहीं कर पाता, लेकिन अरविंद केजरीवाल के मोहल्ला क्लीनिक में डॉक्टरों ने 4 ही घंटे में 500 मरीजों की जांच करके, उनको दवाई तक दे दी. आपने सीसीटीवी की बात की थी, उसकी फुटेज दिखाइए कि 533 मरीजों की जांच कहां हुई? पहले तो दारू का घोटाला था, अब दवा का घोटाला भी सामने आ रहा है. स्वघोषित भारत रत्न अरविंद केजरीवाल की सरकार दवा और दारू दोनों में घोटाला कर रही है'.
आम आदमी पार्टी ने मामले में किया है अपनी सरकार का बचाव
बीजेपी के आरोपों का जवाब देते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'मैंने 20 सितंबर को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया था कि कुछ डॉक्टरों के बारे में शिकायत आई है कि वे लेट आते हैं. कुछ डॉक्टरों ने अपना वीडियो रिकॉर्ड करके कर्मचारियों को दे दिया था और उसके जरिए हर दिन ऐप में एटेंडेंस लगाते थे. इस मामले में सात डॉक्टर और स्टाफ सहित 26 कर्मियों को निकाला था. मोहल्ला क्लीनिक हो या दवाई हो, कौन सही फोन नंबर दे रहा है या गलत नंबर दे रहा है, यह अधिकारियों का काम है. उनके ऊपर DGHS और हेल्थ सेक्रेटरी होते हैं. इन्हें हमने तो नहीं लगाया. हम तो लिखित में दे चुके हैं कि इन्हें हटाओ. सुप्रीम कोर्ट तक में कह चुके हैं'.