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दिल्ली में जलसंकट क्यों है, कहां से आता है पानी, कितने की जरूरत है, क्यों हर साल का संकट है, क्या हुआ सरकारी प्लानों का? 5 बड़े सवालों के जवाब

बड़े-बड़े वादों और तमाम दावों के बावजूद हर साल घूम फिर कर जल संकट दिल्ली के सामने आकर खड़ा हो जाता है. दिल्ली सरकार पानी की बर्बादी करने वालों पर जुर्माना लगाने की घोषणा कर चुकी है, गुरुवार को इमरजेंसी मीटिंग भी बुलाई गई और आज यानी शुक्रवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मदद की गुहार लगाई है.

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नई दिल्ली के चाणक्यपुरी की विवेकानंद कॉलोनी में चल रहे जल संकट के बीच टैंकर से पीने का पानी इकट्ठा करते स्थानीय निवासी (फोटो: PTI)
नई दिल्ली के चाणक्यपुरी की विवेकानंद कॉलोनी में चल रहे जल संकट के बीच टैंकर से पीने का पानी इकट्ठा करते स्थानीय निवासी (फोटो: PTI)

देश की राजधानी दिल्ली तप रही है. आए दिन अधिकतम तापमान के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. पिछले दिनों कई इलाकों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर गया. मौसम की मुसीबत कम न थी कि जल संकट ने दिल्लीवासियों का जीना और मुहाल कर दिया. दिल्ली के कई इलाके इस समय पानी की गंभीर किल्लत से जूझ रहे हैं. आलम यह है कि पानी के टैंकर को देखकर लोग उस पर झपट पड़ते हैं और सैकड़ों लोगों में अफरा-तफरी मच जाती है. इसके बाद भी पानी नहीं मिल रहा है. 

बड़े-बड़े वादों और तमाम दावों के बावजूद हर साल घूम फिर कर यह संकट दिल्ली के सामने आकर खड़ा हो जाता है. दिल्ली सरकार पानी की बर्बादी करने वालों पर जुर्माना लगाने की घोषणा कर चुकी है, गुरुवार को इमरजेंसी मीटिंग भी बुलाई गई और आज यानी शुक्रवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मदद की गुहार लगाई है. सवाल कई हैं, दिल्ली के इस जल संकट का क्या कारण है, दिल्ली को कितना पानी चाहिए और सरकार क्या कर रही है. आइए राष्ट्रीय राजधानी के मौजूदा जल संकट को विस्तार से जानते हैं.

दिल्ली में जलसंकट क्यों है? 

दिल्ली जल संकट के दो प्रमुख कारण हैं. पहला, प्रचंड गर्मी और दूसरा पानी के लिए पड़ोसी राज्यों पर निर्भरता. भयानक गर्मी के चलते पानी की मांग बढ़ गई है. दिल्ली की आबादी की तुलना में पानी की सप्लाई पहले से कम है. दूसरा, दिल्ली का अपना कोई जल स्रोत नहीं है. पानी के लिए यह पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है. गर्मी के चलते अन्य राज्य भी पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे में दिल्ली की मुश्किल और बढ़ गई है. DJB के अनुसार इस साल दिल्ली आवश्यकता से 32.1 करोड़ गैलन प्रति दिन पानी की कमी से जूझ रहा है.

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कहां से आता है पानी?

दिल्ली को हरियाणा सरकार यमुना नदी से, उत्तर प्रदेश सरकार गंगा नदी से और पंजाब सरकार भाखरा नांगल से पानी की सप्लाई करती है. 2023 की एक रिपोर्ट से हमें पानी के स्रोत की जानकारी मिलती है. दिल्ली सरकार का 2023 का आर्थिक सर्वे बताता है कि हर दिन यमुना से 38.9 करोड़ गैलन, गंगा नदी से 25.3 करोड़ गैलन और भाखरा-नांगल से रावि-व्यास नदी से 22.1 करोड़ गैलन पानी दिल्ली को मिलता था. इसके अलावा कुंए, ट्यूबवेल और ग्राउंड वाटर से 9 करोड़ गैलन पानी आता था यानी कुल मिलाकर दिल्ली को हर दिन 95.3 करोड़ गैलन पानी मिलता था. 2024 के लिए यह कुल आंकड़ा 96.9 करोड़ गैलन है.

कितने की जरूरत है? 

अब सबसे अहम सवाल कि दिल्ली को कितने पानी की जरूरत है. दिल्ली जल बोर्ड ने रविवार को अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा कि राजधानी में दैनिक जल आपूर्ति 129 करोड़ गैलन प्रति दिन की आवश्यकता के मुकाबले 96.9 करोड़ गैलन प्रति दिन रह गई है. इसका मतलब है कि दिल्ली की 2.30 करोड़ आबादी को हर दिन 129 करोड़ गैलन की जरूरत है कि लेकिन उसे सिर्फ 96.9 करोड़ गैलन पानी प्रति दिन ही मिल रहा है. 

क्यों हर साल का संकट है? 

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दिल्ली को हर साल पानी के संकट से जूझना पड़ता है क्योंकि दिल्ली एक लैंडलॉक स्टेट है यानी यह हर ओर से जमीन से घिरा हुआ है. दिल्ली का अपना कोई पानी का बड़ा सोर्स नहीं है. उसे पानी के लिए उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा पर निर्भर होना पड़ता है. इसमें भी सबसे बड़ा हिस्सा हरियाणा का है.

क्या हुआ सरकारी प्लानों का?

सरकार हर साल जल संकट से निपटने के लिए योजनाएं लाती है और दावा करती है कि इस हालात बेहतर होंगे लेकिन समस्या और बड़ी हो जाती है. उदाहरण के लिए 2023 की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली सरकार ने ऊंचे जलस्तर वाले क्षेत्रों में 500 ट्यूबवेल लगाने का ऐलान किया था. इसके अलावा शोधित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी को प्राकृतिक और कृत्रिम झीलों में डालकर भूजल स्तर बढ़ाने के भी प्रयास किए गए थे. लेकिन हुआ क्या?

AAP ने दिल्ली के जल संकट के लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहराया है जो यमुना का पानी नहीं छोड़ रहा है. यमुना के पानी से दिल्ली के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट चलते हैं. यमुना से वजीराबाद, चंद्रावाल और ओखला प्लांट को पानी दिया जाता है. आज यमुना का स्तर 670.3 फीट है. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और पानी की बर्बादी पर जुर्माना लगाने जैसे उपाय किए हैं.

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