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JNU विवाद: उमर-अनिर्बान को नहीं मिली बेल, कोर्ट ने 18 मार्च तक सुरक्ष‍ित रखा फैसला

उमर खालिद और अनिर्बान ने कोर्ट में कहा कि जेएनयू में हुए कार्यक्रम के पीछे हिंसा भड़काने जैसी कोई योजना नहीं थी.

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जेएनयू में देशद्रोह के कथित मामले में आरोपी उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य की जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले दो दिनों के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है. वहीं दूसरी ओर, जेएनयू प्रशासन ने छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य आरोपियों को नोटिस का जवाब देने के लिए दो दिन का और वक्त दे दिया है.

उमर खालिद और अनिर्बान ने कोर्ट में कहा, 'कार्यक्रम के पीछे हिंसा भड़काने जैसा कोई मकसद नहीं था. बिना वजह मामले को तूल दिया गया है.' उन्होंने कहा कि राजद्रोह के मामले में कानूनी तौर पर जैसा प्रावधान है, उस लिहाज से हमने कुछ भी नहीं किया.

सुनवाई के दौरान पटियाला हाउस कोर्ट में जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष से मारपीट करने के आरोपी वकील यशपाल की मौजूदगी पर सवाल उठा तो कोर्ट ने उनसे वजह पूछी. यशपाल ने कोर्ट से कहा कि वह सिर्फ कार्रवाई देखने के लिए कोर्ट में आए हैं. जिसके बाद जज ने उन्हें अनुमति दे दी.

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कन्हैया आयोजक नहीं था
दिल्ली पुलिस ने कहा कि 8 फरवरी को खालिद और अनिर्बन ने परमिशन के लिए जेएनयू में आवेदन किया था. दोनों के अलावा कोमल और अश्वतर नाम की छात्रा भी थीं. पुलिस के मुताबिक, कन्हैया के रोल से इन दोनों की तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि ये दोनों आयोजक थे, जबकि कन्हैया आयोजक नहीं था.

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, पोस्टर भी इन्हीं दोनों की ओर से चिपकाए गए थे,. पोस्टर में कहा गया था कि 9 फरवरी को शाम 5 बजे से 7.30 बजे तक आयोजन होना था, इससे पहले जेएनयू के ज्वाइंट सेकेट्री ने कार्यक्रम की शिकायत की जिसके बाद जेएनयू प्रशासन ने कार्यक्रम रद्द करने का आदेश दिया लेकिन इसके बावजूद कार्यक्रम शुरू हुआ.

'10 लोग गवाह के तौर पर मौजूद'
पुलिस ने कहा, 'जब दो गुटों का कार्यक्रम के दौरान आमना-सामना हुआ तब भी नारे लग रहे थे. हमारे पास दस लोग गवाह के तौर पर मौजूद हैं जिसमें छात्र, स्टाफ, अन्य लोग हैं जो घटना के वक्त मौजूद थे. इनमें से एक अखिलेश पाठक का भी बयान है जो कि जेएनयू का छात्र है वो सब कार्यक्रम के वक्त मौजूद थे और उन्होंने देशविरोधी नारे सुने थे और पोस्टर देखे थे.'

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