सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर को दोबारा पूरा राज्य बनाने की मांग को लेकर एक अहम सुनवाई हुई. कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा है. केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि उन्हें जवाब तैयार करने के लिए और समय चाहिए. उन्होंने सुनवाई को आगे बढ़ाने का आग्रह किया.
सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम में हुई आतंकी घटना का जिक्र किया. न्यायाधीशों ने कहा कि जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. यह उसी घटना का संदर्भ है जिसमें आतंकवादियों ने हमला किया था.
एक दिलचस्प बहस तब शुरू हुई जब याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि पहलगाम घटना "उनकी UT सरकार" के समय हुई. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तुरंत आपत्ति जताई.
तुषार मेहता ने कहा कि "उनकी सरकार" शब्द का इस्तेमाल गलत है. उनका कहना था कि याचिकाकर्ता को "हमारी सरकार" कहना चाहिए क्योंकि जम्मू-कश्मीर की 99 फीसदी से ज्यादा जनता भारत सरकार को अपनी सरकार मानती है.
याचिका की मांग
जम्मू-कश्मीर के कॉलेज टीचर जहूर अहमद भट्ट और कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक ने मिलकर यह याचिका दायर की है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वे जल्दी जम्मू-कश्मीर को पूरा राज्य का दर्जा वापस दें.
यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य दर्जा बहाल हो भी जाए, तब भी नहीं लौटेगा राज्य सरकार का वो पुराना रुतबा
सरकार के वादे का हवाला
याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलील में कहा है कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पहले सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि जम्मू-कश्मीर को पूरा राज्य का दर्जा वापस दिया जाएगा. लेकिन आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के 11 महीने बाद भी केंद्र सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है.
अगली सुनवाई
अगली सुनवाई
अब केंद्र सरकार को 4 हफ्ते में अपना जवाब तैयार करके कोर्ट में पेश करना होगा. इसके बाद ही इस मामले में आगे की सुनवाई होगी. यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है.