दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने पिछले महीने कैंपस में हुई हिंसक झड़प में मामले में एक्शन लेते हुए सात छात्रों को निष्कासित कर दिया है और 20 से ज्यादा छात्रों को कारण बताओं नोटिस जारी किया है. इस घटना ने यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक एक्टिविटी को बाधित किया और इस घटना में कई छात्र घायल हुए थे. साथ ही विश्वविद्यालय ने इस घटना के बाद अपने चीफ प्रॉक्टर को भी बदल दिया है.
यूनिवर्सिटी द्वारा निष्कासित छात्रों में तीन छात्रों को तीन-तीन साल के लिए तथा चार को एक-एक साल के लिए निष्कासित किया गया है. वहीं, इस मामले पर जामिया प्रशासन की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
दरअसल, 25 अप्रैल को दीन दयाल उपाध्याय कौशल सेंटर के पास विश्वविद्यालय के गेट नंबर 8 के अंदर हिंसक झड़प हुई. बताया जाता है कि मामूली कहासुनी दो छात्र समूहों के बीच एक बड़े संघर्ष में बदल गई. कथित तौर पर झड़प दक्षिण परिसर से गेट नंबर 7 के माध्यम से उत्तर परिसर तक फैल गई. विश्वविद्यालय के अनुसार, कई छात्रों और कर्मचारियों के साथ मारपीट की गई और पुस्तकालय समेत विश्वविद्यालय की संपत्ति को निशाना बनाया गया.
'दंगाइयों के पास थे हथियार'
विश्वविद्यालय द्वारा जारी अनुशासनात्मक नोटिस के अनुसार, 'छात्रों के दो समूहों के बीच झगड़ा हुआ जो जल्द ही एक बड़े पैमाने पर दंगे और भीड़ हिंसा में बदल गया.'
कैंपस के लोकप्रिय स्थान ‘हाइजेनिक पॉइंट’ कैफे के पास ये हिंसा भड़की. नोटिस में कहा गया, 'दंगाई समूहों ने एक-दूसरे पर पत्थर और ईंटें फेंकी. इसमें शामिल छात्रों और बाहरी लोगों के पास लाठियां, बांस के डंडे, पत्थर और अन्य खतरनाक हथियार भी थे.'
भीड़ ने कथित तौर पर अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल किया और अन्य छात्रों, कर्मचारियों और आगंतुकों को डराने की कोशिश की. सुरक्षा कर्मचारियों और विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया, जिन्हें प्रतिरोध और कथित तौर पर हमले का सामना करना पड़ा.
एक नोटिस में कहा गया है, 'भीड़ ने गालियां दीं, असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया और ड्यूटी पर तैनात कुछ सुरक्षाकर्मियों पर भी हमला किया.'
कई घंटों तक चली हिंसा में दोनों प्रतिद्वंद्वी समूहों के छात्रों ने एक-दूसरे और छात्र समुदाय, कर्मचारियों, संकाय सदस्यों को निशाना बनाने के लिए लाठी, लाठियों, पत्थरों और ईंटों का इस्तेमाल किया.
'यूनिवर्सिटी के छवि हुई धूमिल'
विश्वविद्यालय ने अपने शैक्षणिक माहौल में उत्पन्न व्यवधान को उजागर करते हुए कहा कि हिंसा के कारण प्रैक्टिकल परीक्षाएं बाधित हुईं, लाइब्रेरी का कामकाज प्रभावित हुआ तथा कक्षा शिक्षण में बाधा उत्पन्न हुई.
नोटिस में आगे कहा गया कि इस घटना के कारण 'बड़े पैमाने पर मीडिया रिपोर्टिंग हुई, जिससे जनता की नजरों में विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हुई.'
CCTV फुटेज के आधार पर हुई कार्रवाई
विश्वविद्यालय ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज, ग्राउंड स्टाफ के प्रत्यक्षदर्शी बयानों और विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की है. कुछ मामलों में छात्रों की पिछली अनुशासनहीनता को भी आधार बनाया गया.
नोटिस में कहा गया, 'आप पहले भी अनुशासनहीनता के कारणों में शामिल रहे हैं, जिनके लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे और जुर्माना भी लगाया गया था.'
विश्वविद्यालय ने इसमें शामिल छात्रों से औपचारिक रूप से जवाब मांगा है. नोटिस में चेतावनी दी गई है कि, 'अपराध की गंभीरता और कैंपस में आपके द्वारा की गई अनुशासनहीनता को ध्यान में रखते हुए, सक्षम प्राधिकारी ने आपको यह बताने का निर्देश दिया है कि जामिया मिलिया इस्लामिया के नियमों और विनियमों के अनुसार आपके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए.'
चीफ प्रॉक्टर भी बदला
इस घटना के बाद विश्वविद्यालय ने अपने चीफ प्रॉक्टर को भी बदल दिया है. अधिसूचना में कहा गया है, 'ये अधिसूचित किया जाता है कि आदेश संख्या Gen-125/JMI/RO/E-1/2025 दिनांक 06.05.2025 के अनुसार, प्रोफेसर मोहम्मद असद मलिक, विधि संकाय, जेएमआई ने 07.05.2025 (पूर्वाह्न) को चीफ प्रॉक्टर, जेएमआई का पदभार ग्रहण कर लिया है.'