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अस्पताल ने छीनी आंख की रोशनी, कोर्ट ने कहा- 15 लाख मुआवजा दो

दिल्ली के एक निजी अस्पताल की लापरवाही से एक महिला के नेत्रहीन होने के मामले में कंज्यूमर कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए पीड़‍िता को 15 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. इस मामले में अस्पताल को लापरवाही का दोषी माना गया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

दिल्ली की एक महिला की आंख की रोशनी छीन लेने वाले एक निजी अस्पताल को चिकित्सीय लापरवाही के मामले में दोषी मानते हुए उपभोक्ता अदालत ने 15 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है.

असल में दिल्ली के एक निजी आईकेयर सेंटर ने 43 साल की एक गृहिणी कविता खन्ना की बाएं आंख का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया था. लेकिन इसमें लापरवाही बरती गई जिससे उनके इस आंख की रोशनी ही चली गई. कविता ने इसके बाद दिल्ली के उपभोक्ता विवाद समाधान आयोग (कंज्यूमर कोर्ट) में संपर्क किया.

साल 2004 में विकासपुरी में रहने वाली कविता खन्ना इस निजी आईकेयर सेंटर के पास अपने बाएं आंख में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए गई थीं. उनका कहना है कि इस ऑपरेशन के बाद लगातार नौ दिन तक उनके इस आंख से खून निकलता रहा और इसे रोका नहीं जा सका.

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इसके बाद डॉक्टरों ने फिर एक ऑपरेशन किया, लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. खन्ना ने कोर्ट से बताया कि उन्होंने इस घटना के बाद एम्स सहित कई संस्थानों के एक्सपर्ट डॉक्टर से राय ली, लेकिन कोई भी समाधान नहीं निकल पाया.

कोर्ट को बताया गया कि, 'रेटिना हट जाने की वजह से दृष्ट‍ि पूरी तरह से चली गई और पत्थर की आंख भी नहीं लगाई जा सकी.' यह भी आरोप लगाया कि ऑपरेशन के पहले जो भी चार्ज लगाए गए, जैसे नर्सिंग होम की फीस, दवाइयां आदि, उसके लिए कोई रसीद नहीं दी गई.

दूसरी तरफ, अस्पताल ने सफाई दी है कि खन्ना ने यह खुलासा नहीं किया था कि उन्हें पथरी और यूरिन में इंफेक्शन है. उनकी लापरवाही की वजह से ही इतना नुकसान हुआ. लेकिन कोर्ट ने अस्पताल को लापरवाही का दोषी माना.  

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