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फीस बढ़ोतरी मामले में DPS द्वारका पर HC सख्त, दिल्ली सरकार ने दिया स्कूलों के खिलाफ एक्शन का निर्देश

कोर्ट ने निर्देश दिया है कि फीस से संबंधित मुद्दों का समाधान कानूनी ढांचे के भीतर ही किया जाना चाहिए और यह छात्रों को परेशान करने का आधार नहीं बनना चाहिए. यह आदेश एक शिकायत पर की गई जांच के बाद आया, जिसमें कई खुलासे हुए और छात्रों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई अंतरिम निर्देश जारी किए गए. निर्देशों में छात्रों को तुरंत नियमित कक्षाओं में लौटाने का निर्देश भी शामिल है. 

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दिल्ली हाईकोर्ट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
दिल्ली हाईकोर्ट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली पब्लिक स्कूल द्वारका से जुड़े उस मामले में हस्तक्षेप किया है जिसमें अभिभावकों ने बढ़ी फीस ना देने पर छात्रों के खिलाफ स्कूल की ओर से कार्रवाई की गई थी. फीस विवाद के बीच छात्रों के खिलाफ किसी भी प्रकार की दंडात्मक या भेदभावपूर्ण कार्रवाई करने पर हाई कोर्ट ने रोक लगाई है. स्कूल पर आरोप था कि उसने कुछ छात्रों को फीस न चुकाने के कारण लाइब्रेरी में बंद कर उनकी गतिविधियों को सीमित कर दिया था. 

कोर्ट ने निर्देश दिया है कि फीस से संबंधित मुद्दों का समाधान कानूनी ढांचे के भीतर ही किया जाना चाहिए और यह छात्रों को परेशान करने का आधार नहीं बनना चाहिए. यह आदेश एक शिकायत पर की गई जांच के बाद आया, जिसमें कई खुलासे हुए और छात्रों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई अंतरिम निर्देश जारी किए गए. निर्देशों में छात्रों को तुरंत नियमित कक्षाओं में लौटाने का निर्देश भी शामिल है. 

20 मार्च 2025 को छात्रों को रोका गया 

जांच में वरिष्ठ शिक्षाविद और दिल्ली के शिक्षा निदेशालय शामिल थे. इसमें पाया गया कि छात्रों को 20 मार्च, 2025 से कक्षाओं में जाने से रोका गया था. कोर्ट ने अगली सुनवाई से पहले अपने अंतरिम उपायों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए नियमित जांच के निर्देश दिए हैं, जो 5 मई, 2025 को निर्धारित है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद, दिल्ली सरकार ने नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता को दोहराया है. 

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दिल्ली सरकार ने दिए कार्रवाई के निर्देश

दिल्ली सरकार ने एक बयान में कहा, 'दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को कई शिकायतें मिली हैं, जिनमें कई निजी मान्यता प्राप्त गैर अनुदानित स्कूलों द्वारा मनमाने, अनियमित और फीस बढ़ोतरी की शिकायतें शामिल हैं. इसने परिवारों पर एक वित्तीय भार डाला है और यह मानदंडों के उल्लंघन में किया गया है. इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए, निदेशालय ने जिला स्तरीय निरीक्षण समितियों के गठन के लिए औपचारिक आदेश जारी किए हैं. हर समिति की अध्यक्षता संबंधित क्षेत्र के उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) करते हैं और इसमें शिक्षा विभाग से डिप्टी डायरेक्टर (जिला/जोन), लेखा अधिकारी, और सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्य शामिल हैं.'

स्कूलों को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस

सरकार ने बताया, 'ये समितियां दिल्ली के सभी निजी गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों का स्थल पर निरीक्षण करने के लिए तैनात की गई हैं, जिनके खिलाफ निदेशालय में शिकायतें दर्ज की गई हैं. 16 अप्रैल, 2025 तक दिल्ली में 600 से अधिक निजी मान्यता प्राप्त गैर अर्थ सहायता प्राप्त स्कूलों का निरीक्षण किया गया है. बाकी बचे स्कूलों का निरीक्षण पूरा किया जा रहा है और इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा. जांच में यह पाया गया कि कुछ स्कूलों की फीस में मनमानी वृद्धि पाई गई है, इसके चलते कठोर कार्रवाई की जा रही है. जिन स्कूलों को उल्लंघन का दोषी पाया गया है, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए जा रहे हैं और आगे की सख्त कार्रवाई भी की जाएगी.'

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'छात्रों के अधिकारों के लिए खड़ा है विभाग'

दिल्ली सरकार ने कहा, 'कार्रवाई में मान्यता की वापसी और विद्यालय प्रबंधन का अधिग्रहण शामिल है. साथ ही, इन स्कूलों को तुरंत मनमाने शुल्क वृद्धि को वापस लेने का निर्देश दिया गया है. यह उल्लेखनीय है कि डीएसईएआर 1973 के 24(3) के तहत 10 से अधिक ऐसे निजी गैर अर्थ सहायता प्राप्त स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं. इसके अलावा, निरीक्षण में यह भी पाया गया कि कई निजी गैर-अनुदानित स्कूलों ने डीएसईएआर 1973 के अनुच्छेद 17(3) और अनुच्छेद 180(3) के तहत शुल्क विवरण और ऑडिट रिपोर्ट भी दाखिल नहीं किया है. इसलिए ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा रही है. विभाग छात्रों के अधिकारों के लिए खड़ा है और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि फीस वृद्धि और संबंधित मामलों में छात्रों के अधिकारों की रक्षा की जाए, जो प्रावधानों और कानूनी मिसालों के अनुसार सम्मानित अदालतों के समक्ष है.'

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