जस्टिस गोरला रोहिणी ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली. आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में जज रहीं न्यायमूर्ति रोहिणी (58) ने दिल्ली हाई कोर्ट में एन. वी. रमना की जगह ली.
जस्टिस रमना का प्रमोशन फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हो गया था. तब से जस्टिस बदर दुर्रेज अहमद उनकी जगह पर कार्यवाहक जज का पद संभाल रहे थे.
उपराज्यपाल नजीब जंग ने जस्टिस रोहिणी को पद की शपथ दिलाई. वह 40 जजों वाले दिल्ली हाई कोर्ट में 10वीं महिला जज होंगी और इस पद पर उनका कार्यकाल चार सालों का होगा.
साल 1955 में जन्मी रोहिणी ने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और फिर विशाखापत्तनम में आंध्र विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ लॉ में दाखिला लिया. दिसंबर 1980 में उन्होंने वकालत शुरू की और आगे जाकर आंध्र प्रदेश स्टेट बार काउंसिल की अध्यक्ष भी रहीं. 2001 में वह अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदस्थापित हुईं और 2002 में वह स्थाई न्यायाधीश बनाई गईं.

शपथ ग्रहण के तुरंत बाद उन्होंने कहा कि महिलाओं जुड़े मुद्दे उनकी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रहेंगे.
1980 में वकालत की शुरुआत करने वाली जस्टिर रोहिणी पत्रकार के तौर पर भी काम कर चुकी हैं. एलजी और पुलिस कमिश्नर ने भी भरोसा जताया कि उनके आने के बाद महिलाओं में आत्म विश्वास बढ़ेगा.
दिल्ली में महिलाओँ के साथ छेड़छाड़ के मामले पर दिल्ली पुलिस ने पिछले हफ्ते ही अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की थी. अब देखना होगा कि ऐसे मामलों में जस्टिस रोहिणी अपने आदेशों से कैसी मिसाल पेश करती हैं.