प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 29 मई को दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में सात ठिकानों पर मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक बड़े बैंक घोटाले के सिलसिले में छापेमारी की. यह मामला पंजाब एंड सिंध बैंक के पूर्व अधिकारी, उनके सहयोगियों और GOA247.live नामक ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म से जुड़े व्यक्तियों के खिलाफ चल रही जांच से संबंधित है.
ईडी ने यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत की. छापों के दौरान ₹39 लाख नकद, कई मोबाइल फोन, ऑनलाइन गेमिंग में उपयोग होने वाले सिम कार्ड, और अहम डिजिटल व दस्तावेजी साक्ष्य बरामद किए गए. इसके साथ ही 48 फर्जी बैंक खातों में मौजूद ₹1.5 करोड़ की राशि को फ्रीज किया गया, जिनका उपयोग गेमिंग प्लेटफॉर्म द्वारा अवैध धन के लेन-देन में किया गया था.
घोटाले की जड़ में हैं बैंक अधिकारी की भूमिका
इस मामले की जांच की शुरुआत सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच, नई दिल्ली द्वारा दर्ज एक FIR से हुई थी. इसमें बेदनशु शेखर मिश्रा, पंजाब एंड सिंध बैंक के दिल्ली विश्वविद्यालय स्थित खालसा कॉलेज शाखा के पूर्व अधिकारी को मुख्य आरोपी बनाया गया है. उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज है.
ईडी के मुताबिक, मिश्रा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एक बड़े बैंकिंग फ्रॉड को अंजाम दिया. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज के नाम पर बने 46 फिक्स्ड डिपॉजिट खातों से अवैध रूप से धन निकाला. इस फ्रॉड की कुल राशि ₹52.99 करोड़ आंकी गई है.
ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म को भेजे गए करोड़ों रुपए
जांच एजेंसी का कहना है कि मिश्रा ने इस धन में से करीब ₹24 करोड़ की राशि विभिन्न ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म, विशेषकर GOA247.live, को ट्रांसफर की. यह पैसा फर्जी बैंक खातों के नेटवर्क के ज़रिए भेजा गया, ताकि इसकी असली पहचान छिपाई जा सके.
इससे पहले, ईडी ने इसी मामले में मिश्रा और उनके सहयोगियों की ₹2.56 करोड़ मूल्य की चल-अचल संपत्तियाँ अस्थायी रूप से जब्त की थीं. यह कार्रवाई PMLA की धारा 5 के तहत की गई थी.
प्रवर्तन निदेशालय ने कहा है कि वे इस घोटाले में शामिल शेष अवैध धन की तलाश कर रहे हैं और यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि ऑनलाइन सट्टेबाजी और वित्तीय धोखाधड़ी के बीच किस तरह का गहरा नेटवर्क काम कर रहा है.